मोदी सरकार की तरफ से लोकसभा में चीनी नागरिकों को लेकर एक अहम जानकारी साझा की गई है। गृह मंत्रालय के मुताबिक साल 2019 से 2021 तक चीन के 81 नागरिकों को भारत छोड़ने का नोटिस दिया गया। 117 चीनी नागरिकों को डिपोर्ट करवने के साथ 726 चीनी नागरिकों को वीज़ा नियमों और अन्य गैरकानूनी कार्यो के लिए सरकार की प्रतिकूल सूची में रखा गया है।
गृह मंत्रालय के बयान के मुताबिक ओवर-स्टे के मामले में विदेशी अधिनियम 1946 के मुताबिक एक्शन होता है। इस एक्ट के तहत विदेशियों को भारत छोड़ो नोटिस जारी करना और जुर्माना या वीजा शुल्क लेना शामिल है। गृह मंत्रालय का दावा है कि सरकार नियमों के अनुसार ही कदम उठाती है। ऐसे देशों के लोगों पर सरकारी एजेंसियों के साथ पुलिस खास नजर रखती है जो हमारे लिए खतरा बन सकते हैं। अगर इनके नागरिक नियम कानूनों का उल्लंघन करते देखे जाते हैं तो कड़ी कार्रवाई की जाती है।
सरकार का कहना है कि हाल के दिनों में भारत में चीनी नागरिकों द्वारा अंजाम दिए गए आपराधिक घटनाओं में बढ़ोतरी देखी जा रही है। पिछले महीने ही एक फर्जी लोन घोटाले में 3 चीनी नागरिकों के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया था। गृह मंत्रालय का दावा है कि सरकार दंडात्मक कदम तभी उठाती है जब उसे पूरी तरह से यकीन हो जाए कि विदेशी नागरिकों का उसकी सरजमीं पर रहना देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है।
LAC पर हुई खूनी झड़प के बाद सरकार ने चीन को लेकर अपना नजरिया बदला है। उसके बाद से चीनी नागरिकों पर खास निगाह रखी जाने लगी। हालांकि मामले से जुडे़ लोगों का कहना है कि चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के लोोगों पर सरकार की हमेशा से पैनी नजर रही है। ऐसा माना जाता है कि इन देशों के लोग भारत में नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर सकते हैं। सरकार का संसद में कहना था कि हम अपनी सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध हैं। इस मामले में किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाता।
हालांकि तस्वीर का दूसरा पहलू ये भी है कि जिन विदेशी निवेशों को सरकार ने हाल में स्वीकृति दी है, उनमें से अधिकांश चीन के कारोबारियों के हैं। खुद बीजेपी के पूर्व सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने इसे लेकर मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया था।