दिल्ली के निवासियों को लगातार हवा में प्रदूषणकारी कणों के उच्च स्तर का नुकसान झेलना पड़ रहा है। राजधानी के कुछ हिस्सों में प्रदूषण का स्तर बहुत है। इससे खासतौर पर बुजुर्गोंं और बच्चों के लिए सेहत संबंधी खतरे हैं। फेफड़ों में पहुंचकर नुकसान पहुंचा सकने वाले कण ‘पीएम 2.5’ का स्तर शहर में करीब 170 आंका गया जो 60 की स्वीकार्य सीमा से लगभग ढाई गुना है। ‘पीएम 10’ का औसत 280 दर्ज किया गया जो इसकी स्वीकार्य सीमा 100 से 2.8 गुना है।
दिल्ली में 30 अक्तूबर की रात से कोहरे की चादर छाई हुई है। हवा के सही से नहीं चलने और आर्द्रता के कारकों के साथ ही पंजाब और हरियाणा में धान के खेतों में आग लगाए जाने की वजह से ऐसा हो रहा है। मौसम विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘जब तक सही तरह से हवा नहीं चलेगी या बारिश नहीं होगी, तब तक अगले कुछ दिनों तक हवा की गुणवत्ता खराब रहेगी। धान में आग लगाए जाने से धुंध बढ़ी है जिससे दमा से पीड़ित बच्चों और बुजुर्गों पर अधिक असर पड़ता है।’
अधिकारी के मुताबिक आसमान में बादल छाए रहने से अगले कुछ दिन तक हालात में सुधार की संभावना नहीं लगती। प्रदूषणकारी तत्वों के स्तर को देखते हुए सर्दी की शुरुआत के साथ परिस्थिति ‘बहुत खराब’ की श्रेणी की ओर बढ़ रही है। ‘एक्यूयूआइसीएन डॉट ओआरजी’ की ओर से जारी वैश्विक वायु गुणवत्ता सूचकांक में दिल्ली के आनंद विहार इलाके को दोपहर दो बजे 233 की रेटिंग दी गई है, जो ‘बहुत अस्वास्थ्यकर श्रेणी’ में आती है।
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