आंतरिक लोकतंत्र किसी भी पार्टी की मजबूत कड़ी होती है। अगर क्षणिक लालच के लिए इसे खत्म कर दिया जाए तो फिर इसके परिणाम बहुत दूरगामी और दुखद होते हैं। यह बात आम आदमी पार्टी के नेता प्रो आनंद कुमार ने श्याम लाल कालेज में ‘भारत में आतंरिक दलीय लोकतंत्र’ पर आयोजित संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता कही।

प्रो आनंद कुमार ने कहा कि इस समय देश में उथल-पुथल का दौर चल रहा है। नीति और अनीति की लड़ाई में कब किसे बलि का बकरा बना दिया जाएगा, कहना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री होना और दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार का तमाम हालातों के बाद फतह एक बदलाव के रूप में सामने आया है। जबकि इससे अलग बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश जैसे कई राज्यों में जुगाड़ के बल पर राजनीति चल रही है। यह प्रजातंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं माना जा सकता।

उन्होंने कहा कि जुगाड़ बार-बार नहीं चलती। इनकी जड़ें उखड़ने वाली है। आनंद कुमार ने कहा कि आंतरिक लोकतंत्र किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। कांग्रेस और भाजपा के बाद अब आम आदमी पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र समाप्त होने के कगार पर है।

उन्होंने कहा कि दिल्ली के आप की जिस तरह जीत हुई और फिर एकाएक आंतरिक लोकतंत्र की कमी दिखी, उसके भी दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि बर्फ का महल देखने में जरूर अच्छा लगता है पर लगातार पिघलने के बाद उसका अस्तित्व ही समाप्त हो जाता है। यही कारण है कि हमने भी अगर पार्टी लाइन से अलग हटकर गुस्से में, क्षोभ में कुछ कहा तो मैं उसे इस समय वापस लेने में भी हिचक नहीं रहा। बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी।

रहस्योद्घाटन करते हुए प्रो कुमार ने कहा कि चुनाव के समय जिन बीस उम्मीदवारों की सूची मेरे सामने थी, उनमें से आठ विधायकों का चिट्ठा अभी भी खुल जाए तो उनके खिलाफ उनके क्षेत्र में ही धरना-प्रदर्शन शुरू हो जाएगा।