मनोज कुमार मिश्र

दिल्ली में नए मेयर का चुनाव होने वाला है। संख्या बल के हिसाब से आम आदमी पार्टी (आप) की मेयर पद की उम्मीदवार शैली ओबेराय भारी पड़ रही हैं। भाजपा की वरिष्ठ नेता और तीन बार की निगम पार्षद रेखा गुप्ता उन्हें चुनौती दे रही हैं। नगर निगम में विप और दल बदल विरोधी कानून लागू नहीं होता। भाजपा किसी चमत्कार के भरोसे चुनाव लड़ रही है। नगर निगम की 250 सीटों में आप ने 134 और भाजपा ने 104 सीटें जीती हैं। मेयर चुनाव में मनोनीत 14 विधायक, लोकसभा के सात और राज्यसभा के तीन सदस्य भी मतदान करेंगे।

असली लड़ाई मेयर के चुनाव के बाद शुरू होनी है। निगम स्वशासी था। बाद में अघोषित रूप से दिल्ली सरकार के अधीन लाया गया, लेकिन दिल्ली सरकार का हस्तक्षेप ज्यादा नहीं रहा। अब तीन निगमों को एक कर दिया गया है। दिल्ली सरकार तो पहले से ही उप राज्यपाल के हस्तक्षेप को लेकर आवाज उठाती रही है। नगर निगम का तो पूरा ही नियंत्रण ही उप राज्यपाल के पास विधिवत रहने वाला है।

ऐसे में दिल्ली में सत्ता की लड़ाई तो अंतहीन लग रही है। आप दस साल में राष्ट्रीय पार्टी बनकर भाजपा को चुनौती देने लगी है। दिल्ली के बाद गुजरात में कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाने से आप के नेता उत्साहित ज्यादा हैं। 2013 में बहुमत न होते हुए आप ने सरकार बनाई और नियम से परे जाकर जन लोकपाल बिल विधान सभा में पेश करने की कोशिश की। तब के उप राज्यपाल नजीब जंग ने इसको पेश करने नहीं दिया तो मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया।

आप नेता 2014 लोक सभा चुनाव में बुरी तरह पराजित होकर हताश हो गए थे। भाजपा की सरकार न बनने से दिल्ली में पहली बार राष्ट्रपति शासन लगा और आप से उप राज्यपाल की लड़ाई ने सारी सीमाएं तोड़ दी। दोबारा 2015 में चुनाव होने पर आप भारी बहुमत से सरकार में आई। तब उप राज्यपाल से लड़ाई जारी रही।

उप राज्यपाल नजीब जंग ने आप सरकार के फैसले से जुड़ी चार सौ फाइलों की जांच पूर्व सीएजी वीके शुंगलू से करवाई। उन्होंने 2016 के आखिर में इस्तीफा दे दिया। उनकी जगह पर अनिल बैजल उप राज्यपाल बने। उनसे पूरे समय आप सरकार की लड़ाई चलती रही। वे पांच साल से ज्यादा समय तक उप राज्यपाल रहे।

इसी साल 23 मई को विनय कुमार उप राज्यपाल बनाए गए। पहले ही दिन से उनसे आप सरकार का टकराव शुरू हुआ। उन्होंने दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति के चलते हुए आर्थिक घोटाले की उप राज्यपाल द्वारा 22 जुलाई, 2022 को सीबाआइ जांच के आदेश देकर अपने तेवर दिखा दिए। दिल्ली में पहली बार गैर नौकरशाह विनय कुमार सक्सेना 23 मई, 2022 को उप राज्यपाल बने।

उन्हें गृह मंत्री अमित शाह का बेहद करीबी माना जाता है। तब से यह टकराव ज्यादा ही बढ़ता जा रहा है। छह महीने से दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन जेल में हैं। गिरफ्तारी का विरोध करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया था कि उनकी सरकार की लोकप्रियता से परेशान होकर परेशान किया जा रहा है।

शराब तो एक मुद्दा है, तीन-तीन उप राज्यपाल बदलने के बावजूद दिल्ली सरकार से केंद्र सरकार का टकराव कम नहीं हुआ। चार जुलाई, 2018 को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने चार अगस्त, 2016 के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए कहा कि गैर आरक्षित विषयों में दिल्ली की सरकार फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है।

बंद करा दी थी चर्चा

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि दिल्ली सरकार का मतलब उप राज्यपाल है। तब तक दिल्ली सरकार की उप राज्यपाल से इस कदर टकराव बढ़ गई थी कि उप राज्यपाल ने आरक्षिक विषयों पर सरकार और विधान सभा में चर्चा करानी तक बंद करवा दी थी। उसके बाद पिछले साल मार्च महीने में संसद के दोनों सदनों से ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली(संशोधन)-2021’ विधेयक पास करवाकर उप राज्यपाल को पहले से ज्यादा ताकतवर बना दिया।

इतना ही नहीं दिल्ली की मौजूदा आम आदमी आदमी पार्टी (आप) की सरकार और उप राज्यपाल के माध्यम से केन्द्र की सरकार से अनवरत चल रही लड़ाई ने दिल्ली को विधान सभा बनाने वाले साल 1993 में फिर से पहुंचा दिया गया था।