नेपाल में हुए विरोध प्रदर्शन का असर भारत के कुछ राज्यों में भी देखने को मिला है। नेपाल की सीमा बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तराखंड के कुछ जिलों से लगती है। उन सभी जगह पर सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए गए हैं। लेकिन वहां पैदा हुए हालात ने भारत के कई जिलों में व्यापार पर सीधा असर डाला है।

क्या बता रहे दुकानदार?

बिहार का ऐसा ही एक शहर है रक्सौल, जहां दुर्गा पूजा के दौरान जबरदस्त उत्साह देखने को मिलता है। दुकानें सजी रहती हैं, ग्राहक आते रहते हैं और खरीदारी खूब होती है। नेपाल से भी बड़ी संख्या में लोग कपड़ों से लेकर अन्य सामान बिहार के रक्सौल से खरीदते हैं। लेकिन इस बार हालात अलग हैं। नेपाल में चल रहे जैन जी प्रोटेस्ट की वजह से दुकानों पर ग्राहक नहीं आ रहे हैं। बाज़ार पूरी तरह ठंडा पड़ा हुआ है। कुछ दुकानों पर तो हालात ऐसे हैं कि बिक्री तक नहीं हो पा रही है।

स्थानीय दुकानदारों के मुताबिक, कोरोना काल के बाद से ही यहां पर स्थिति खराब चल रही थी। खरीदारी में काफी कमी आई थी। लेकिन इस साल सितंबर के आते ही एक सकारात्मक माहौल लगने लगा था कि मार्केट में उत्साह बढ़ेगा। मगर बीच में इस विरोध प्रदर्शन ने खराब चल रही स्थिति को और बिगाड़ दिया है।

90 फीसदी नेपाली ग्राहक, अब सब गायब

रक्सौल बाज़ार को लेकर बताया जाता है कि यहां पर स्थानीय खरीदार से ज्यादा नेपाल के लोग शॉपिंग करने आते हैं। करीब 90 फ़ीसदी तक की खरीदारी नेपाल के लोगों द्वारा की जाती है। इसी वजह से जब से नेपाल में स्थिति बिगड़ी है, उसका असर बिहार के इस शहर पर भी पड़ा है।

इस बारे में इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए आलोक कुमार श्रीवास्तव नामक दुकानदार ने कहा कि पिछले 5 दिन से हमारी बिक्री तक नहीं हो पाई है। एक गमछा भी नहीं बिका है। पहले दुर्गा पूजा नेपाल में सबसे बड़ा त्योहार रहता था। उसी वजह से यहां भी काफी दुकानदारी देखने को मिलती थी। इस समय तक तो हमारी दुकान पर किसी भी समय 3-4 ग्राहक दिख जाते थे। पहले हमारी रोज़ की 50,000 रुपये तक की दुकानदारी हो जाती थी, लेकिन अब वो शून्य पर आ गई है। हम तो हमेशा दुआ करते हैं कि नेपाल में खुशियां बनी रहें, क्योंकि उससे हमारा बाज़ार भी गुलज़ार होता है। लेकिन इस बार जैसी स्थिति बनी है, उसकी वजह से कई ऑर्डर कैंसिल करने तक की नौबत आ चुकी है।

ये भी पढ़ें- नेपाल को खराब दौर से निकालने की चुनौती