Naresh Agarwal Mulayam Singh Yadav Relations : किसी जमाने में समाजवादी पार्टी के बड़े नेता और मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के बेहद करीबी माने जाने वाले नरेश अग्रवाल (Naresh Agarwal) ने साल 2018 में भाजपा का दामन थाम लिया था। सपा के प्रति उनकी नाराजगी पहली बार उस दिन खुलकर सामने आई थी, जब वह समाजवादी साइकिल से उतरकर कमल के फूल के साथ नजर आए थे। सपा द्वारा जया बच्चन को राज्यसभा का टिकट दिए जाने से नाराज नरेश अग्रवाल (Naresh Agarwal) ने बीजेपी में शामिल होते ही बिना नाम लिए कहा था कि फिल्मों में डांस करने वालों के नाम पर टिकट काटा गया। उनके इस बयान पर मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) भी नाराज हो गए थे।

कभी मुलायम सिंह के थे करीबी: नरेश अग्रवाल (Naresh Agarwal) ने अपने सियासी सफर में कई घाटों का पानी पीया है। राजनीतिक सफर की शुरुआत कांग्रेस से हुई थी, इसके बाद अपनी पार्टी बनाई जिसका नाम लोकतांत्रिक कांग्रेस रखा। कल्याण सिंह की सरकार को अपना समर्थन देकर वह बीजेपी में कैबिनेट मंत्री बने, लेकिन राजनाथ सिंह के साथ हुई अनबन के साथ वह मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के साथ आ गए। सपा सरकार में भी उन्हें मंत्री पद मिला। मुलायम सिंह यादव नरेश अग्रवाल की सियासी समझ के कायल थे। वह मानते थे कि नरेश अग्रवाल की न सिर्फ जमीन पर पकड़ है बल्कि सभी पार्टियों के साथ उनके रिश्ते उन्हें खास बनाते हैं। अपनी पार्टी के प्रसार के इरादे से ही उन्होंने नरेश अग्रवाल को अपने करीबियों में शामिल किया था।

ऐसे बिगड़े यादव परिवार से रिश्ते: बताया जाता है कि अग्रवाल के रिश्ते, शिवपाल यादव के साथ बेहतर थे। पारिवारिक अनबन में जब सपा दो फाड़ की स्थिति में हुई तो अग्रवाल ने शिवपाल यादव की तरफ खड़े रहना मुनासिब समझा। हरदोई से सात बार के विधायक रहे नरेश अग्रवाल कई बार अखिलेश यादव के खिलाफ तीखे तेवर दिखा चुके हैं। पिछले दिनों जब उन्हें अखिलेश की तरफ से दोबारा पार्टी में शामिल होने का ऑफिर दिया गया तो उन्होंने इसे सिरे से खारिज कर दिया।

मुलायम के खिलाफ बयान: नरेश अग्रवाल, मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) को अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं लेकिन सपा से अलग होने के बाद उन्होंने मुलायम के खिलाफ तीखी टिप्पणियां की थी। पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान एक रैली में नरेश अग्रवाल ने कहा था कि अगर मुलायम सिंह यादव को चुनाव जीतने के लिए मायावती का सहयोग लेना पड़ रहा है तो उन्हें चूल्लू भर पानी में डूब जाना चाहिए। इतना ही नहीं सपा संरक्षक के लिए वह चूहे शब्द का इस्तेमाल भी कर चुके हैं।

उनके जाने से फायदा होगा: मुलायम सिंह यादव ने भी साल 2018 में नरेश अग्रवाल के बीजेपी में शामिल होने पर कहा था कि उनके जाने से कोई नुकसान नहीं होगा बल्कि फायदा होगा। दरअसल मुलायम न सिर्फ अग्रवाल के इस तरह पार्टी छोड़ने से नाराज थे बल्कि जया बच्चन पर की गई टिप्पणी से आहत बताए जा रहे थे।

सात बार चार अलग-अलग पार्टियों से विधायक बने: उत्तर प्रदेश की राजनीति में नरेश अग्रवाल (Naresh Agarwal) की खासी अहमियत मानी जाती है। करीब 4 दशक की राजनीति में वह सात बार चार अलग-अलग पार्टियों से विधायक रह चुके हैं। 1980 में वह पहली बार हरदोई से कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए थे। 1989 में निर्दलीय उम्मीदार बनकर जीते, कांग्रेस के टिकट पर 1991, 93 और 96 में जीते। 1997 से लेकर 2001 तक बीजेपी सरकार में मंत्री रहे। 2002 में सपा के टिकट पर लड़े और 2004 तक मुलायम सरकार में पर्यटन मंत्री रहे। 2007 में सपा के टिकट पर लड़े और जीते भी लेकिन सूबे में बसपा की सरकार बनी तो मायावती के सिपलसिलार बन गए। 2012 में फिर मायावती का साथ छोड़ा और सपा के साथी बन गए। फिलहाल इन दिनों बीजेपी की शरण में हैं।