प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से श्री श्री रविशंकर की तारीफ के साथ शुक्रवार (11 मार्च) को यमुना तट पर विवादित विश्व सांस्कृतिक महोत्सव की शुरूआत हुई। प्रधानमंत्री ने कहा कि रविशंकर ने दुनिया से भारत का ‘‘परिचय’’ कराया है। हालांकि, मोदी ने अपने भाषण में इस कार्यक्रम से पर्यावरण को नुकसान से जुड़े विवाद पर कोई टिप्पणी नहीं की। इस तीन दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम में कई देशों से आया शिष्टमंडल और हजारों लोग हिस्सा ले रहे हैं । कार्यक्रम के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री ने भारतीयों से कहा कि उन्हें अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व होना चाहिए।

इस बाबत रविशंकर के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘भारत के पास सांस्कृतिक विरासत और समृद्धि है जिसे पूरी दुनिया देख रही है। हम उन जरूरतों को पूरा कर सकते हैं, लेकिन यह तभी हो सकता है जब हम अपनी विरासत पर गर्व करें। यदि हम इसे कोसते रहेंगे तो दुनिया हमारी ओर क्यों देखेगी।’’

मोदी ने इस कार्यक्रम में तीन घंटे बिताए लेकिन इस कार्यक्रम को लेकर पर्यावरण कार्यकर्ताओं की ओर से उठाए गए सवालों से पैदा हुए विवाद पर अपने भाषण में कुछ नहीं कहा। पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने रविशंकर के ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ फाउंडेशन पर आरोप लगाया गया है कि लाखों लोगों के शामिल होने की संभावना के मद्देनजर बनाए गए बड़े-बड़े ढांचों से नदी तट को नुकसान होगा।

कार्यक्रम पर हुए विवाद को देखते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इसमें शिरकत करने से इनकार कर दिया। उन्हें रविवार को समापन समारोह को संबोधित करना था। फ्रांस के पूर्व प्रधानमंत्री डोमिनिक विलेपिन, नेपाल के उप-प्रधानमंत्री कमल थापा, यूएई के संस्कृति मंत्री अल नाह्यान सहित कई अन्य विदेशी गणमान्य हस्तियां इस मौके पर मौजूद थीं। लेकिन जिम्बाब्वे के राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे, श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना और अफगानिस्तान के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अब्दुल्ला अब्दुल्ला इस कार्यक्रम में नहीं आए।

इस कार्यक्रम के आयोजन को लेकर उस वक्त अनिश्चितता पैदा हो गई थी जब राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने विभिन्न सरकारी एजेंसियों से कड़े सवाल किए कि आखिर इस कार्यक्रम को इजाजत कैसे दी गई। हालांकि, बाद में एनजीटी ने इस पर पाबंदी लगाने को लेकर अपनी लाचारगी जाहिर की। इसके बावजूद, एनजीटी ने ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ पर पांच करोड़ रुपए का जुर्माना लगा दिया। लेकिन रविशंकर ने इस आदेश को धता बताते हुए कहा कि वह जुर्माना अदा करने की बजाय जेल जाना पसंद करेंगे। शुक्रवार (11 मार्च) को ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ के वकील ने एनजीटी के समक्ष अपना सुर बदलते हुए कहा कि यह संस्था एक एनजीओ है और इतने कम समय में इतनी बड़ी रकम अदा करने की स्थिति में नहीं है। इस पर एनजीटी ने ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ से कहा कि वह शुक्रवार (11 मार्च) को 25 लाख रुपए जमा करे और बाकी रकम अगले तीन हफ्ते के दौरान अदा करे।

अपने संबोधन में रविशंकर ने विश्व सांस्कृतिक महोत्सव को ‘‘निजी पार्टी’’ करार देने वाले अपने आलोचकों पर निशाना साधते हुए कहा कि जब कुछ बड़ा किया जाता है तो ‘‘बाधाएं’’ आती ही हैं। उन्होंने एनजीटी की ओर से ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ पर लगाए गए जुर्माने पर कुछ नहीं कहा। रविशंकर ने अपने विरोधियों से यह भी कहा कि प्रकृति की ‘‘देखभाल और उससे प्रेम’’ और पर्यावरण का संरक्षण ‘‘हमारे डीएनए में है।’’

विश्व सांस्कृतिक महोत्सव की शुरूआत से कुछ देर पहले बारिश शुरू होने पर लगा कि अब पूरा कार्यक्रम चौपट हो जाएगा। लेकिन दुनिया भर से आए कलाकारों की ओर से रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुतियों के साथ समारोह तय कार्यक्रम के अनुसार आगे बढ़ा। इस मौके पर कई विदेशी हस्तियों ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।

विश्व सांस्कृतिक महोत्सव को ‘‘कला का कुंभ मेला’’ करार देते हुए मोदी ने कहा कि बारिश भी आयोजकों की ‘‘परीक्षा’’ ले रही थी। मोदी ने कहा, ‘‘लेकिन यह आर्ट ऑफ लिविंग है। आर्ट ऑफ लिविंग का मतलब आरामतलबी और सहूलियतों के बीच जीना नहीं है। जब हम अपने विचारों के साथ आगे बढ़ते हैं तो यह आर्ट ऑफ लिविंग होती है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘जब हम अपने सपनों को जीते हैं तो यह आर्ट ऑफ लिविंग होती है। जब हम चुनौतियों से निपटते हैं तो यह आर्ट ऑफ लिविंग होती है। जब हम खुद के लिए जीने की बजाय दूसरों के लिए जीते हैं तो यह आर्ट ऑफ लिविंग होती है।’’ मोदी के संबोधन में ज्यादा जोर एक ऐेसे दर्शक समूह के सामने भारतीय संस्कृति और विरासत को बढ़ावा देने पर था जिसमें यूएई, अर्जेंटिना, पाकिस्तान, नेपाल सहित कई अन्य देशों के लोग मौजूद थे।

रविशंकर की कोशिशों की तारीफ करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘ऐसा नहीं है कि दुनिया सिर्फ आर्थिक हितों से जुड़ी हुई है। यह मानवीय मूल्यों के जरिए भी जुड़ सकती है। ऐसा किया जा सकता है, ऐसा किया जाना चाहिए।’’ मोदी ने कहा, ‘‘भारत के पास ऐसी सांस्कृतिक विरासत और समृद्धि है जिसे दुनिया तलाश रही है। हम उन जरूरतों को पूरा कर सकते हैं, लेकिन यह तभी हो सकता है जब हमें अपनी विरासत पर गर्व हो। यदि हम इसे कोसते रहेंगे तो दुनिया हमारी तरफ क्यों देखेगी।’’

भारत की सांस्कृतिक विरासत की ‘‘नरम शक्ति’’ की अहमियत पर जोर देते हुए मोदी ने याद दिलाया कि आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन ने उनके मंगोलिया दौरे के दौरान भी कार्यक्रम का आयोजन किया था जिसमें वहां के नागरिकों ने भारतीय तिरंगा लेकर उनका स्वागत किया था। उन्होंने कहा, ‘‘जहां राज्य का अधिकार और उसकी सत्ता नहीं पहुंचती, वहां नरम शक्ति की बड़ी भूमिका हो जाती है। जब कला की ताकत पर गौर किया जाता है तो इस देश की आंतरिक शक्ति बाहर आती है।’’

मोदी ने इस मौके पर भारतीय पारंपरिक संगीत की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि भारतीय पारंपरिक संगीत आत्मा से संवाद करता है। संभवत: एनजीटी में चल रहे कानूनी मामले की तरफ इशारा करते हुए रविशंकर ने कहा, ‘‘जब हम कुछ बड़ा करना चाहते हैं तो कई बाधाएं आती हैं। लेकिन यह सिर्फ यही संकेत देते हैं कि हमने कोई बहुत अहम काम हाथ में लिया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘बाधाएं तब नहीं आतीं, जब कुछ गलत होता है। बाधाएं तब आती हैं जब कुछ बड़ा करना होता है। लेकिन आखिरकार सभी बाधाएं दूर होती हैं और आखिरी नतीजा बेहद अच्छा होता है।’’