जन आशीर्वाद यात्रा कार्यक्रम के तहत केंद्र सरकार में बनाए गए कई नए मंत्री अपने अपने इलाकों का दौरा कर रहे हैं। इसी कड़ी में मोदी सरकार के कैबिनेट मंत्री बने नारायण राणे (Narayan Rane) ने मुंबई से जन आशीर्वाद यात्रा की शुरुआत की। 19 अगस्त से शुरू हुई उनकी (Narayan Rane) यह यात्रा 26 अगस्त तक चलेगी। जिसमें वह मुंबई से वसई-विरार, रायगढ़ से होते हुए कोंकण के रत्नागिरी और सिंधुगिरी तक जाएंगे। यह इलाका शिवसेना के दबदबे वाला माना जाता है। ऐसे में उनकी (Narayan Rane) यात्राओं को लेकर शिवसेना भी एक्टिव हो गई है।
शिवसैनिकों ने बाल ठाकरे मेमोरियल का किया शुद्धिकरण: अपनी यात्रा के तहत नारायण राणे ने बाल ठाकरे मेमोरियल जाकर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। राणे के लौटने के बाद वहां शिवसेना कार्यकर्ता पहुंच गए और उन्होंने दूध तथा गोमूत्र से मेमोरियल का शुद्धिकरण किया। शिवसेना के इस कदम से साफ हो गया है कि वह राणे को लेकर आक्रामक रुख अख्तियार करने की तैयारी में है।
नारायण राणे को मैदान में उतारने की रणनीति: राजनीति जानकारों के अनुसार, आगामी महानगर निगम चुनावों को देखते हुए बीजेपी ने रणनीति के तहत नारायण राणे को मैदान में उतारा है। राणे एक जमाने में शिवसेना के कद्दावर नेता और बाल ठाकरे के करीबी माने जाते थे। ठाकरे के हर आदेश को मिशन मानते हुए नारायण राणे जुट जाया करते थे। कोंकण इलाके में राणे की अगुवाई में ही शिवसेना ने कांग्रेस के वर्चस्व को खत्म कर बाल ठाकरे का जनाधार तैयार किया था।
राणे बने राज्यसभा सांसद: उद्धव ठाकरे द्वारा शिवसेना की कमान संभालने के बाद राणे का कद पार्टी में कम होता चला गया। साल 2005 में वह शिवसेना छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए। लेकिन यहां भी राणे को वह स्थान नहीं मिला, जिसके लिए उन्होंने पार्टी छोड़ी थी। इसलिए उन्होंने 2018 में ‘स्वाभिमानी पार्टी’ नाम से अपना अलग राजनीतिक दल बना लिया था। 2019 में यह पार्टी बीजेपी में विलय हो गई और राणे को राज्यसभा का सांसद बना दिया गया।
ब्रांड बाल ठाकरे को हाईजैक करने की कवायद: बीजेपी जानती है कि बीएमसी से शिवसेना को हटाना है तो बाल ठाकरे ब्रांड को हाइजैक करना होगा। उद्धव और आदित्य के सामने नारायण राणे को खड़ा करके पार्टी खुद को मजबूत कर रही है। राणे के पास शिवसेना के साथ काम करने का लंबा अनुभव है। वह उसकी कमजोरियों और ताकत से वाकिफ हैं और उनके कई राज भी जानते हैं।
शिवसेना को दो तरफ से घेरने की कोशिश: विधानसभा चुनावों में बीजेपी और शिवसेना के संबंधों में आई तकरार के बाद यह BMC चुनाव ही वह मौका होगा जब शिवसेना और बीजेपी आमने सामने मैदान में होगे। बाल ठाकरे की हिंदू हृदय सम्राट छवि के विपरीत शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के साथ सत्ता पर काबिज है। ऐसे में बीजेपी एक तरफ शिवसेना को हिंदुत्व के एजेंडे पर घेरने की रणनीति पर काम कर रही है तो दूसरी तरफ मुंबई के बाहर उसकी जड़ों को कमजोर करने की कवायद भी शुरू हो गई है। महाराष्ट्र के कोंकण इलाके में राणे की जबरदस्त पकड़ मानी जाती है। यह पकड़ शिवसेना के जमाने से है। अगर राणे का फार्मूला इस इलाके से चल जाता है तो आगामी चुनावों में शिवसेना को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
2017 के बीएमसी चुनावों में शिवसेना और बीजेपी के बीच करीबी मुकाबला रहा था। शिवसेना की झोली में यहां 84 सीटें आई थीं जबकि बीजेपी 82 सीटों पर दर्ज करने में कामयाब रही थी।