कर्नाटक चुनाव में अमूल और नंदिनी मिल्क ब्रांड (Amul vs Nandini milk brand) की तुलना की जा रही है इस बीच कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार (State Congress chief DK Shivakumar) ने शनिवार को इस मुद्दे पर पार्टी के रुख को दोहराया। उन्होंने कहा कि नंदिनी अमूल से एक ‘बेहतर’ ब्रांड है। साथ ही उन्होंने कहा कि कर्नाटक के दूध और किसानों की रक्षा की जाएगी।

समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने गुजरात स्थित डेयरी सहकारी समिति अमूल के कर्नाटक डेयरी बाजार (Karnataka dairy market) में प्रवेश करने की आलोचना की। उन्होंने कहा, “हम अपने दूध और अपने किसानों की रक्षा करना चाहते हैं। हमारे पास पहले से ही नंदिनी है जो अमूल से बेहतर ब्रांड है। हमें किसी अमूल की जरूरत नहीं है। हमारा पानी, हमारा दूध और हमारी मिट्टी मजबूत है।”

कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) राज्य में ‘नंदिनी’ ब्रांड नाम से दूध और दही बेचता है। बुधवार को अमूल ने बेंगलुरू में अपने ब्रांड का टीजर लांच किया था इसमें बताया गया था कि अमूल ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म का उपयोग अपने डेयरी उत्पादों के वितरण को सक्षम करने के लिए करेगा। वहीं कर्नाटक में अमूल के प्रवेश से यह चिंता जताई जा रही है कि यह स्थानीय ब्रांड के लिए खतरा पैदा करेगा।

दिसंबर में कर्नाटक की यात्रा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने KMF और गुजरात के आनंद मिल्क यूनियन लिमिटेड (AMUL) के बीच विलय की अटकलों को हवा दी थी। तभी से अमूल बनाम नंदिनी युद्ध छिड़ गया है। ट्विटर पर #GoBackAmul और #SaveNandini के हैशटैग के साथ ट्वीट होने लगे। शुक्रवार को कांग्रेस नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कन्नड़ लोगों से अमूल उत्पादों का बहिष्कार करने का आग्रह किया था।

डेयरी किसानों और केएमएफ के अधिकारियों को लगता है कि नंदिनी परसेप्शन की लड़ाई में हार रही है। केएमएफ के निदेशकों में से एक आनंद कुमार ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “कई लोगों का मानना ​​है कि दुग्ध महासंघ नंदिनी के ब्रांड मूल्य को बढ़ावा देने और बढ़ाने के लिए पर्याप्त नहीं कर रहा है। उन्होंने यह भी अपील की कि सरकार डेयरी किसानों को मांग के अनुसार दाम तय करने की स्वायत्तता दे।”

आनंद कुमार ने कहा, “अमूल से बेहतर दूध की गुणवत्ता होने के बावजूद हम नंदिनी ब्रांड के प्रचार में बहुत पीछे हैं। इसलिए #SaveNandini महत्वपूर्ण है। हालांकि अमूल दूध का इस्तेमाल महज 10 फीसदी है, लेकिन उनका विज्ञापन 90 फीसदी है, जो कर्नाटक के डेयरी किसानों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है। नंदिनी के ब्रांड मूल्य को बढ़ाने और लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए हमें एक मजबूत विज्ञापन अभियान को लागू करने की जरूरत है।”