महाराष्ट्र के पिंपरी चिंचवाड़ शहर में पाकिंग के लिए नई सुविधा दी गयी है। एक अनूठी पहल में अब यहां के निवासी WhatsApp पर पार्किंग रिजर्व कर सकते हैं। डिजिटल गवर्नेंस की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए पीसीएमसी ने मंगलवार को सिविक स्टैंडिंग कमेटी की बैठक के दौरान व्हाट्सएप आधारित ‘पे एंड पार्क’ सुविधा शुरू की। नगर निगम आयुक्त शेखर सिंह द्वारा शुरू की गई इस पहल से लोग बिना कागजी टिकट या मैन्युअल प्रक्रियाओं के व्हाट्सएप के माध्यम से पार्किंग स्थान आरक्षित कर सकेंगे।
वर्तमान में शहर में 10 प्रमुख स्थानों पर संचालित यह प्रणाली किसी विशिष्ट समय स्लॉट के लिए उपयोगकर्ता के नाम से वास्तविक समय में बुकिंग की अनुमति देती है। वाहन अगर आरक्षित समय के भीतर पार्क नहीं किया जाता है तो स्लॉट ऑटोमेटिक रूप से खाली हो जाता है और दूसरों को उपलब्ध करा दिया जाता है। अधिकारियों ने कहा कि उपयोगकर्ताओं को तुरंत सूचना मिलती है जिससे प्रक्रिया पारदर्शी और कम समय में हो जाती है।
WhatsApp पर आता है स्मार्ट-अलर्ट
अधिकारियों ने बताया कि यह प्रणाली बुकिंग की स्थिति, वास्तविक समय की उपलब्धता और स्मार्ट अलर्ट तक सहज पहुंच प्रदान करती है, यह सब व्हाट्सएप के माध्यम से होता है। इंजीनियर बापू गायकवाड़ के अनुसार, यह सेवा न केवल नागरिकों के लिए पार्किंग की परेशानी को कम करेगी, बल्कि पिंपरी चिंचवाड़ में यातायात प्रबंधन को भी बेहतर बनाएगी।
स्थायी समिति की बैठक पिंपरी के मुख्य प्रशासनिक भवन में स्वर्गीय महापौर मधुकर पावले हॉल में हुई। इसकी अध्यक्षता शेखर सिंह ने की और इसमें अतिरिक्त आयुक्त प्रदीप जांभले पाटिल, विजयकुमार खोराटे, तृप्ति सांडभोर और अन्य प्रमुख विभाग प्रमुखों ने भाग लिया।
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राज्य सरकार ने पवना नदी पुनरुद्धार योजना को मंजूरी दी
वहीं, पिंपरी चिंचवाड़ नगर निगम (पीसीएमसी) को सोमवार को आखिरकार अपने लंबे समय से प्रतीक्षित पवना नदी पुनरुद्धार परियोजना के लिए महत्वपूर्ण पर्यावरणीय मंज़ूरी मिल गई। अधिकारियों ने कहा कि पीसीएमसी पवना नदी के लिए 1,500 करोड़ रुपये की पुनरुद्धार परियोजना को लागू करने की योजना बना रही है।
पीसीएमसी के पर्यावरण विभाग के संयुक्त इंजीनियर संजय कुलकर्णी ने इंडियन एक्स्प्रेस को बताया, “हमें हाल ही में राज्य की पर्यावरण मंजूरी समिति से पर्यावरण मंजूरी मिली है। यह प्रस्ताव छह साल पहले प्रस्तुत किया गया था। समिति ने कम से कम चार बार संशोधन की मांग की थी। कम से कम तीन समितियाँ हैं जिन्होंने प्रस्ताव को मंजूरी दी है। हमने उनकी जांच की और प्रस्ताव को फिर से प्रस्तुत किया।”
अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार ने प्रस्ताव के तकनीकी पहलुओं को मंजूरी दी है, लागत को नहीं। कुलकर्णी ने कहा, “समिति परियोजना की लागत पर विचार नहीं करती। हमने 1,500 करोड़ रुपये तक की लागत वाली कायाकल्प योजना तैयार की है।” पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स