माया नगरी मुंबई में कबूतरों को खाना खिलाने पर लगी रोक आगे भी जारी रहने वाली है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ताओं को कोई राहत नहीं दी है, कोर्ट ने पूरी तरह तो कबूतरखानों को बंद करने के निर्देश नहीं दिए हैं, लेकिन एक विशेषज्ञों की टीम जरूर बना दी गई है। अब यह टीम ही वैकल्पिक जगह से लेकर कबूतरों को दाना डालने से होने वाली स्वास्थ्य बीमारियों के बारे में विस्तृत जानकारी देगी।

वैसे जब से अदालत में इस मामले में सख्ती दिखाई है, बीएमसी ने भी कार्रवाई करना शुरू कर दिया है। सिर्फ कुछ दिनों के आंकड़े बताते हैं कि बीएमसी ने कबूतरों को दाना डालने वाले 142 लोगों पर जुर्माना ठोका है और करीब 68700 रुपए वसूले गए हैं।

कबूतरों को लेकर क्या विवाद है?

अब जानकारी के लिए बता दें कि पूरा विवाद तब शुरू हुआ था जब दादर इलाके के कबूतरखाने पर बीएमसी ने तिरपाल डाल दिया। बीएमसी नहीं चाहती थी कि लोग वहां जाकर कबूतरों को दाना डालें, लेकिन इस वजह से कई प्रदर्शनकारी जमीन पर उतर गए, ऐसा दावा हुआ कि उसमें जैन समुदाय के भी कई लोग शामिल हुए। पुलिस के साथ उनकी झड़प भी हुई जिस वजह से विवाद काफी ज्यादा बढ़ गया।

यहां पर समझने वाली बात यह है कि जैन समुदाय के लोग कबूतरों को खाना डालना अपने धर्म का एक अहम और जरूरी हिस्सा मानते हैं। वे इसे जीव दया के रूप में देखते हैं। प्राचीन काल में भी जैन समुदाय के लोगों ने अपने घर पर भी छोटे-छोटे कबूतरखाने बनाए थे।

आगे चलकर कम्युनिटी फंड का इस्तेमाल कर मुंबई में कई जगह बड़े कबूतरखाने बनाए गए। यहां भी सबसे पुराना कबूतरखाना देवीदास कोठारी ने 1923 में बनवाया था।

वर्तमान में पूरे मुंबई में 51 कबूतर खाने मौजूद हैं, यहां भी ज्यादातर तो किसी ना किसी जैन मंदिर के पास ही बनाए गए हैं।

अब वैसे तो कई सालों तक ऐसे ही मुंबई में कबूतरों को दाना डाला गया लेकिन इस साल जुलाई 3 को शिवसेना नेता मनीषा कायान्डे ने विधान परिषद में यह मुद्दा उठा दिया।

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कबूतरों को लेकर अदालत का क्या रुख?

इसके बाद महाराष्ट्र सरकार में मंत्री उदय सामंत ने भी बीएमसी को निर्देश दिए कि कबूतरखानों को बंद किया जाए और जो लोग भी अवैध तरीके से उन्हें दाना डाल रहे हैं, उनके खिलाफ भी एक्शन लिया जाए। उसके बाद से ही बीएमसी ने ना सिर्फ लोगों को दाना डालने से रोका बल्कि कई कबूतरखानों पर तिरपाल भी डाल दिया।

जब यह मामला बॉम्बे हाई कोर्ट तक गया तो अदालत ने इस बात को माना कि इंसान की जान से ज्यादा कोई दूसरी चीज कीमती नहीं हो सकती। इसके बाद 30 जुलाई को हाई कोर्ट ने ही बीएमसी को निर्देश दिए कि उन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो जो अवैध तरीके से कबूतरखानों में कबूतरों को दाना डाल रहे हैं। अदालत ने ही निर्देश दिए कि बीएमसी कई जगहों पर सीसीटीवी लगा दे जिससे अवैध तरीके से दाना डाल रहे लोगों की पहचान की जा सके।

लेकिन जब जैन समुदाय के लोगों का आक्रोश बढ़ता गया, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हस्तक्षेप किया और उनकी तरफ से बीएमसी को कहा गया कि वो पूरी तरह कबूतरखानों को बंद ना करें। सीएम की तरफ से निर्देश दिए गए कि सीमित तरीके से कबूतरों को दाना डालने की इजाजत दे दी जाए।

अभी के लिए अदालत की तरफ से एक कमेटी का गठन कर दिया गया है, ऐसे में आगे जो भी फैसला होगा, वो उस कमेटी के सुझावों के आधार पर होगा।

Nayonika Bose , Omkar Gokhale की रिपोर्ट