समाजवादी पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ही पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे। इससे पहले कल ही सपा के यूपी प्रदेश अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने कहा था कि अखिलेश ही हमारे सीएम कैंडिडेट हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता किरणमय नंदा ने कहा, “मीडिया में कन्फ्यूजन है, पार्टी और आमलोगों में कोई कन्फ्यूजन नहीं है। एसपी जीतेगी और अखिलेश यादव फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे।” गौरतलब है कि तीन दिन पहले तीन (14 अक्टूबर को) ही समाजवादी पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि 2017 में मुख्यमंत्री कौन होगा, यह विधानमंडल दल की बैठक में तय होगा। मुलायम ने संकेत दिया था कि सपा मुख्यमंत्री पद के लिए पहले से तय चेहरा बदल भी सकती है। इसके बाद उनके छोटे भाई और पार्टी महासचिव रामगोपाल यादव ने अखिलेश का पक्ष लेते हुए चिट्ठी लिखकर मुलायम सिंह से फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की थी।
रामगोपाल ने चिठ्ठी में लिखा था कि अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर आगे नहीं करना अखिलेश को कमजोर करना होगा और ऐसा करना पार्टी के लिए बड़ा नुकसानदायक साबित हो सकता है। रामगोपाल यादव ने अपने पत्र में आगे लिखा कि 403 सदस्यों वाली यूपी विधान सभा में अगर पार्टी ने 100 सीट से भी कम पर जीत हासिल की तो इसके लिए नेताजी सीधे तौर पर जिम्मेदार होंगे।
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इस बीच शिवपाल सिंह यादव ने रविवार को साफ किया कि अगर विधान सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की जीत होती है तो अखिलेश यादव ही मुख्यमंत्री बनेंगे। दरअसल, यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बीच सत्ता और शक्ति की लड़ाई है। शिवपाल मुलायम सिंह के काफी नजदीक हैं। पिछले दिनों उन्होंने डॉन मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का विलय समाजवादी पार्टी में कराया था लेकिन यह मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पसंद नहीं आया। उन्होंने तुरंत इसके खिलाफ पार्टी में कड़ा विरोध जताया और विलय को खारिज कर दिया गया। कुछ दिनों बाद अखिलेश को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष से हटाकर शिवपाल सिंह यादव को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया। इसके बाद सीएम अखिलेश यादव ने शिवपाल सिंह यादव के महत्वपूर्ण मंत्रालय वापस ले लिए थे और उनके करीबी मंत्री गायत्री प्रजापति को बर्खास्त कर दिया था।
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इसके बाद समाजवादी पार्टी में चल रही पारिवारिक लड़ाई जगजाहिर हो गई। शिवपाल सिंह ने पार्टी से इस्तीफे देने की पेशकश कर दी लेकिन मुलायम सिंह यादव ने बाच-बचाव करते हुए मामले को शांत कराया। शिवपाल सिंह को फिर से कैबिनेट में अहम जिम्मेदारी और मंत्रालय दिए गए। गायत्री प्रजापति की कैबिनेट में वापसी हुई और कुछ दिनों बाद फिर से कौमी एकता दल का सपा में विलय हो गया। कौमी एकता दल का मुस्लिम वोट बैंक (18 फीसदी) पर अच्छी पकड़ है। इस बीच अखिलेश के कई पसंदीदा लोगों को शिवपाल ने पार्टी से निकाल बाहर किया। इन घटनाक्रम से साफ हुआ कि मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बेटे अखिलेश यादव से ज्यादा तवज्जो भाई शिवपाल सिंह यादव को देते हैं। अब ऐसे में तीन दिन पहले उनका यह बयान कि चुनाव के बाद सीएम का चयन होगा, मुलायम सिंह की तरफ से अखिलेश को कड़ा संदेश देने का इशारा हो सकता है। हालांकि, कुछ राजनीतिक जानकार कहते हैं कि इसके जरिए अखिलेश की एक नई छवि भी सामने उभरी है।
The confusion is in media, not within party or people; SP will win and Akhilesh Yadav will become CM: Kiranmoy Nanda, SP pic.twitter.com/9B60xlicTM
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) October 17, 2016