पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने पिछले कुछ महीनों में उत्तर प्रदेश की कई यात्राएं की हैं। प्रदेश में मुस्लिम आबादी ज्यादा होने के चलते आम चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी का सबसे प्रमुख मुस्लिम चेहरा नकवी राज्य में अपनी यात्रा तेज कर रहे हैं।

मुस्लिम संगठनों के साथ नेटवर्क बनाएंगे: आने वाले हफ्ते में अल्पसंख्यक मामलों के पूर्व मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी रामपुर, लखनऊ, इलाहाबाद और मुरादाबाद का दौरा करने वाले हैं। इन इलाकों में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की संख्या ज्यादा है। इन यात्राओं के दौरान, नकवी मुस्लिम संगठनों के साथ नेटवर्क बनाएंगे और संवाद बैठकें आयोजित करेंगे।

बनाए गए थे कारगिल लोकसभा सीट के प्रभारी: इससे पहले बीजेपी के वरिष्ठ नेता नकवी को रणनीतिक और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कारगिल लोकसभा सीट का प्रभारी बनाया गया था। इस सीट को भाजपा ने 2014 में पहली बार जीता था और 2019 में बरकरार रखा था। पर पार्टी लद्दाख में हाल ही में हुए परिषद चुनावों में कांग्रेस से हार गई थी। जिसके बाद पार्टी के भीतर सवाल उठा कि आखिर मुख्तार अब्बास नकवी को चुनाव की जिम्मेदारी क्यों नहीं सौंपी गई? गौरतलब है कि कारगिल लोकसभा सीट में लगभग 55 प्रतिशत मतदाता मुस्लिम समुदाय से हैं और 42% बौद्ध हैं।

भाजपा ने तुष्टिकरण को समावेशी सशक्तिकरण से ध्वस्त किया: इससे पहले लखनऊ के विश्वेश्वरैया सभागार में आयोजित भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के तीन दिवसीय प्रदेश प्रशिक्षण शिविर के समापन के दौरान मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा था कि विदेशी आक्रमणकारियों के क्रिमिनल, कम्युनल, क्रूर क्राइम की गुनाहों की गठरी को भारतीय मुसलमानों के सिर का बोझ नहीं बनाना चाहिए। उन्होंने कहा था कि भाजपा ने तुष्टिकरण के सियासी छल को समावेशी सशक्तिकरण के बल से ध्वस्त किया है। जो एमवाई फैक्टर सांप्रदायिक और संकीर्णता का प्रतीक था, आज मोदी-योगी के कारण विकास और विश्वास की जमानत है।

नकवी ने कहा था कि कुछ लोग भारत में इस्लामोफोबिया के झूठे मनगढ़ंत तर्कों, दुष्प्रचारों के जरिए हिन्दुस्तान की शानदार समावेशी संस्कृति, संस्कार और संकल्प पर पाखंडी प्रहार कर भारत को बदनाम करने की कोशिश करते हैं। ऐसे साजिशी सिंडीकेट से होशियार रहने की जरूरत है।