मध्यप्रदेश के निवाड़ी जिले का थौना गांव साइबर क्राइम के लिए बदनाम होने लगा है। इसको जामताड़ा कहा जाए तो गलत नहीं होगा। क्योंकि देश भर में झारखंड़ का जामताड़ा साइबर क्राइम के लिए जाना जाता है।
यूपी से सटे निवाड़ी जिले में मौजूद मध्यप्रदेश के आखिरी गांव थौना के युवक मोबाइल के जरिए सायबर ठगी करने में लगे हैं। जब तक पुलिस को क्राइम की सूचना मिलती है, तब तक सभी बॉर्डर का फायदा उठाकर दूसरे राज्य में दाखिल होकर फरार हो जाते हैं। इस गांव ने आजादी की लड़ाई में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस गांव के माटी को कभी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अपने माथे पर लगाया था, लेकिन अब यह अपने साइबर अपराधों के चलते एमपी के जामताड़ा के नाम से जाना जाने लगा है।
बता दें कि निवाड़ी से 15 किलोमीटर दूर थौना गांव मध्य प्रदेश की सीमा में आता है, लेकिन जो सबसे मुख्य बात है, वो यह है कि गांव में पड़ने वाला नाला एमपी और यूपी से लगा हुआ है। जो एक तरीके से कह लीजिए तो दोनों राज्यों की सीमा को बांटता है।
थौना गांव के युवा यहां बैठकर ठगी करते हैं। इसकी जानकारी जैसे ही पुलिस को होती है, वैसे ही ठगी करने वाले नाला पार कर उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश कर जाते हैं। इन दोनों सीमा के बीच 100 मीटर का भी अंतर नहीं है। इसी का फायदा उठाकर ठगी और चोरी की वारदातें आए दिन होती रहती हैं।
तरीचर कलां थाना प्रभारी गौरव राजौरिया ने बताया कि गांव के लोग लोकल स्तर पर ठगी नहीं करते। वो सागर, भिंड, मुरैना, श्योपुर के अलावा राजस्थान, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के लोगों से ठगी करते हैं। पुलिस अधिकारी का कहना है कि निवाड़ी जिले में तो कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है, लेकिन दूसरे राज्यों और जिलों से पुलिस यहां पर ठगी की शिकायतें लेकर आरोपियों को पकड़ने आती है।
जिले के पुलिस कप्तान तुषारकांत विद्यार्थी ने जानकारी देते हुए बताया कि पुलिस को अलग राज्यों से थौना गांव से साइबर अपराध की शिकायतें मिलती रही हैं। इसके बाद से पुलिस गांव में साइबर अवेयरनेस प्रोग्राम चलाती रहती है। उन्होंने कहा कि थौना गांव यूपी बॉर्डर का गांव है। इस तरह की गतिविधियां को अंजाम देने में लोग दूसरे राज्यों की सीमा का भी फायदा लेते हैं। अपराध कर दूसरे राज्यों में चले जाते हैं, जिसका फायदा उन्हें मिलता है।