मध्य प्रदेश में आवारा पशुओं की बढ़ती संख्या ने लोगों के लिए एक गंभीर समस्या उत्पन्न कर दी है। चाहे शहर की गलियां हों या हाईवे, हर जगह गायें, भैंसें और अन्य मवेशी सड़कों पर इधर-उधर घूमते या बैठे मिल जाते हैं। इस कारण सड़क हादसों का खतरा तो बना ही रहता है, साथ ही कई बार ये मवेशी भी दुर्घटनाओं का शिकार हो जाते हैं। इस समस्या को लेकर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने आवारा मवेशियों से होने वाले खतरों और नुकसान पर ध्यान देने की अपील की है।
जीतू पटवारी ने सीएम से कहा- इस समस्या को गंभीरता से लें
गोवर्धन पूजा के अवसर पर जीतू पटवारी ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि वे सड़कों पर मवेशियों की समस्या को गंभीरता से लें। उन्होंने उल्लेख किया कि आज के दिन पशुपालक अपने मवेशियों को सजाकर उनकी पूजा कर रहे हैं, जबकि हजारों ऐसे मवेशी हैं जिन्हें सड़कों पर बेसहारा छोड़ दिया गया है। यह सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि क्या गाय के नाम पर वोट मांगने वाले बीजेपी नेता इन मवेशियों की दशा को लेकर चिंतित नहीं हैं?
पत्र में यह भी कहा गया है कि हाल में उज्जैन जिले से मिली रिपोर्ट में साफ बताया गया है कि वहां मवेशी सड़कों पर झुंड बनाकर बैठे रहते हैं। विशेषकर उज्जैन-आगर मार्ग पर कई स्थानों पर यह स्थिति देखी जा सकती है, जहां सड़कों को गौशाला में तब्दील कर दिया गया है। यह जानने के लिए कोई भी तैयार नहीं है कि ये मवेशी कब से वहां हैं और इनके मालिक कौन हैं।
सड़कों पर बैठे मवेशियों की दशा भी बताई
राष्ट्रीय राजमार्ग 552 पर की गई एक यात्रा में भी यही स्थिति देखने को मिली। घटिया के नए बस स्टैंड पर शाम के समय यात्री बसों से उतरते-चढ़ते दिखाई दिए, जबकि उसी समय 130 से ज्यादा मवेशी बेतरतीब बैठे थे। इसी तरह आगर-महिदपुर को जोड़ने वाली सड़क पर भी सैकड़ों मवेशी डिवाइडर के रूप में बैठे पाए गए। यह स्थिति केवल एक जिले की नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश के कई क्षेत्रों में आम होती जा रही है।
वर्तमान में मध्य प्रदेश में लगभग 8.5 लाख आवारा मवेशी हैं, जो सड़क दुर्घटनाओं और ट्रैफिक जाम का मुख्य कारण बनते जा रहे हैं। हाल ही में जबलपुर हाईकोर्ट ने भी राज्य सरकार को सड़कों पर मवेशियों की संख्या कम करने के लिए ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए हैं, क्योंकि इन मवेशियों की वजह से कई जानें जा चुकी हैं और यातायात प्रभावित हो रहा है।
इस समस्या का प्रभाव किसानों पर भी पड़ रहा है। कई किसान शिकायत कर रहे हैं कि आवारा मवेशी उनके खेतों में घुसकर फसलें बर्बाद कर देते हैं, जिससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान होता है। ऐसे में कई किसान अब केवल एक फसल उगाने का फैसला कर रहे हैं और रात भर अपने खेतों की रक्षा करने को मजबूर हैं। यह स्थिति न केवल सड़क सुरक्षा के लिए, बल्कि कृषि क्षेत्र के लिए भी गंभीर चिंता का विषय बन गई है।