भाजपा के वरिष्ठ नेता भंवर सिंह शेखावत को मुश्किलों का सामना करना पड़ा सकता है क्योंकि पार्टी ने संकेत दिया है कि वह उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर सकती है। शेखावत पर आरोप है कि उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के खिलाफ व्यापक स्तर पर अभियान चलाया। पूर्व विधायक और मध्य प्रदेश राज्य सहकारी बैंक के चेयरमैन ने आरोप लगाया था कि कैलाश विजयवर्गीय ने साल 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के लगभग एक दर्जन बागियों की वित्तीय मदद की, जिससे ये सुनिश्चित हो सके कि शिवराज चौहान दोबारा सत्ता में ना लौट सकें।

धार जिले में बदनावर सीट से चुनाव हारने वाले शेखावत ने आरोप लगाया था कि विजियवर्गीय ने राजेश अग्रवाल की वित्तीय मदद की, जिन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और तीस हजार से ज्यादा वोट हासिल की। भाजपा ने विद्रोह के बाद अग्रवाल को पार्टी ने निष्कासित कर दिया था, हालांकि कुछ दिन पहले उन्हें एक बार फिर पार्टी में शामिल कर लिया गया।

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इधर विजवर्गीय ने मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि प्रदेश पार्टी अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि शेखावत को भोपाल बुलाया गया है। शर्मा ने कहा कि पार्टी ने अग्रवाल को भाजपा में लाने का फैसला उप चुनाव को देखते हुए लिया है। उन्होंने कहा कि विजयवर्गीय को मालवा क्षेत्र की पांच सीटों और शेष 19 सीटों के लिए दूसरे नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है जहां उपचुनाव होने वाले हैं।

दूसरे तरफ शेखावत ये कहते हुए अपने आरोपों पर अड़े रहे कि जिम्मेदारी कहने का ये मतलब नहीं है कि कोई आधिकारिक प्रत्याशी के खिलाफ विद्रोहियों को चुनावी मैदान में उतार सकता है। वहीं पार्टी द्व्रारा उन्हें समन भेजने पर शेखावत ने कहा कि उन्होंने सीएम चौहान से मिलने का समय मांगा है।

पूर्व विधायक ने कहा कि मैं अपनी शिकायतें सामने रखूंगा। मुझे भरोसा है कि पार्टी समझ जाएगी। यकीन है कि भाजपा मेरे खिलाफ कार्रवाई नहीं करेगी।