Morbi Bridge: गुजरात के मोरबी में 30 अक्टूबर 2022 को पुल गिरने से हुई 135 लोगों की मौत के मामले में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने में देरी को लेकर मोरबी नगरपालिका को फटकार लगाई है। अदालत ने MMC से कहा कि मामले को हल्के में लेना छोड़िए। या तो आज शाम तक अपना जवाब दाखिल करें, या 1 लाख रुपए का जुर्माना अदा करें।
गुजरात हाई कोर्ट ने बुधवार को मोरबी नगर निगम (MMC) को मोरबी पुल हादसे में एक स्वत: संज्ञान जनहित याचिका पर दो बार नोटिस के बावजूद स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने में विफल रहने के लिए फटकार लगाई। मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति आशुतोष जे शास्त्री की पीठ ने एमएमसी से कहा कि या तो वह बुधवार शाम तक अपना जवाब दाखिल करे या एक लाख जुर्माना अदा करे।
चालाकी दिखा रही MMC: पीठ ने मंगलवार को कहा था कि एमएमसी नोटिस जारी होने के बावजूद पेश नहीं होकर चालाकी दिखा रही है। जिस पर मोरबी नगरपालिका के वकील ने कहा, “नगरपालिका के प्रभारी और डिप्टी कलेक्टर चुनाव ड्यूटी पर हैं। नोटिस डिप्टी कलेक्टर को भेजा जाना चाहिए था, लेकिन यह 9 नवंबर 2022 को नगर निकाय को दिया गया था। जिस कारण से अदालत के सामने पेश होने में देरी हुई। अब अगर अधिकारी कोर्ट के आदेशों का पालन करते हैं तो शाम तक उम्मीद है मोरबी पुल हादसे पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल हो जाएगी।
गुजरात हाई कोर्ट ने लिया था स्वतः संज्ञान: खासतौर पर पीठ ने मंगलवार को गुजरात सरकार से जानना चाहा था कि निजी ठेकेदार को 2017 में अग्रीमेंट समाप्त होने के बावजूद पुल को संचालित करने और राजस्व अर्जित करने की अनुमति क्यों दी। पीठ ने राज्य सरकार से उनकी ओर से हुई चूकों को लेकर कई सवाल भी किए थे। पिछले हफ्ते, बेंच ने मोरबी में सस्पेंशन ब्रिज के टूटने पर हुए हादसे पर स्वत: संज्ञान लिया था।
गौरतलब है कि गुजरात के मोरबी में 30 अक्टूबर 2022 को मच्छु नदी पर बना पुल टूट गया था। उस वक्त पुल पर करीब 300-400 लोग मौजूद थे। इस हादसे में 135 लोगों की मौत हो गई थी। जिसके बाद गुजरात हाईकोर्ट ने मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए गुजरात सरकार, मोरबी नगर पालिका समेत तमाम विभागों से जवाब मांगा था।