अयोध्या में मशहूर रामकथा वाचक मोरारी बापू के कार्यक्रम को लेकर विवाद हो गया है। दरअसल मोरारी बापू ने रामकथा कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मुंबई से सेक्स वर्कर महिलाओं को अयोध्या आमंत्रित किया है। जिस पर अयोध्या के कई महंत और दक्षिणपंथी संगठन के लोग भड़क गए हैं। मोरारी बापू की इस पहल से नाराज अयोध्या के डांडिया मंदिर के महंत भारत व्यास का कहना है कि “एक पवित्र शहर में, जहां भगवान राम के जन्म हुआ, वहां सेक्स वर्कर्स के जमावड़े से गलत संदेश जाएगा…लोग यहां अपने पाप धोने आते हैं। इसलिए हम मोरारी बापू के इस कदम का विरोध कर रहे हैं।” मोरारी बापू ने इस महीने की शुरुआत में मुंबई के कमाठीपुरा इलाके का दौरा किया था और वहां सेक्स वर्कर महिलाओं के साथ बातचीत की थी। इस दौरान मोरारी बापू ने सेक्स वर्कर महिलाओं को अयोध्या आकर रामकथा सुनने के लिए आमंत्रित किया था।

इसी आमंत्रण पर शनिवार को अयोध्या में हुए मोरारी बापू के ‘तुलसीदास मानस गणिका’ कार्यक्रम में मुंबई की 200 के करीब सेक्स वर्कर शामिल हुईं और रामकथा सुनी। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार, कार्यक्रम में शामिल हुई एक सेक्स वर्कर ने बातचीत में कहा कि “यह उनके लिए यादगार अनुभव रहा। हमारे लिए यह बड़े ही सम्मान की बात है। ऐसा पहली बार हुआ है कि हम किसी धार्मिक कार्यक्रम में शामिल हुए हैं।” एक अन्य सेक्स वर्कर ने बातचीत के दौरान कहा कि “हम भी ईश्वर की भक्ति से आत्मिक सुख पाना चाहते हैं। हम भी भगवान में विश्वास रखते हैं और इस कार्यक्रम में शामिल होकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।” हालांकि मोरारी बापू की इस पहल का विरोध भी खूब हो रहा है। दक्षिणपंथी संगठनों के लोगों ने इस मामले में मोरारी बापू की शिकायत सीएम योगी आदित्यनाथ से करने की बात कही।

दक्षिणपंथी संगठनों के लोगों का कहना है कि मोरारी बापू इस पवित्र शहर को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। एक नेता ने कहा कि यदि मोरारी बापू समाज में सुधार लाना चाहते हैं तो उन्हें माओवादी इलाकों और रेड लाइट इलाकों में राम कथा का आयोजन करना चाहिए। अयोध्या के एक महंत पवन दास शास्त्री का तो कहना है कि विश्वामित्र और नारद जैसे महान संत भी महिलाओं के प्रभाव से नहीं बच पाए। अयोध्या में सेक्स वर्कर्स की मौजूदगी कतई स्वीकार नहीं की जा सकती। दूसरी तरफ इस पूरी आलोचना से बेपरवाह मोरारी बापू का कहना है कि “तुलसीदास ने भी रामायण में गणिकाओं (सेक्स वर्कर्स) का जिक्र किया है और उनके जीवन में सुधार लाने की बात कही है। मैं इसी तरह वंचितों से जुड़े मुद्दे उठाता रहूंगा। भगवान राम का जीवन भी स्वीकार्यता और सुधारों पर आधारित रहा।”