प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जांच में आरोप लगाया गया है कि निलंबित सहायक पुलिस निरीक्षक (API), सचिन वाजे ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के निर्देश पर दिसंबर 2020 और फरवरी 2021 के बीच बार मालिकों से 4.7 करोड़ रुपये वसूले। ईडी के अनुसार, वाजे ने देशमुख के निजी सहायक, कुंदन शिंदे को पैसे दिए और बाद में इस पैसे का एक हिस्सा दिल्ली में चार शेल कंपनियों के माध्यम से नागपुर के एक चैरिटेबल ट्रस्ट को भेज दिया गया।

ईडी ने देशमुख के निजी सचिव संजीव पलांडे और निजी सहायक कुंदन शिंदे को रिमांड पर लेने के लिये की जा रही सुनवाई के दौरान यह दावा किया। अधिकारियों ने कहा कि पलांडे और शिंदे को कथित तौर पर करोड़ों रुपये की रिश्वत सह रंगदारी गिरोह मामले में कथित धनशोधन के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में देशमुख को अप्रैल में इस्तीफा देना पड़ा था। उन्होंने कहा कि दोनों के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है। दोनों को एक जुलाई तक ईडी की हिरासत में भेज दिया गया है।

द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा रिव्यू की गई ईडी रिमांड आवेदन की एक प्रति में कहा गया है कि वाजे ने शिंदे को “सुचारु रूप से काम करने” के लिए बार मालिकों से वसूले गए 4.70 करोड़ रुपये “गुड लक” के रूप में दिये थे। इसमें से लगभग 4.18 करोड़ रुपये दिल्ली की चार कंपनियों में नकद जमा किए गए थे। जिन कंपनियों में पैसा डाला गया उनका नाम – रिलायबल फाइनेंस कॉर्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड लिमिटेड, वीए रियलकॉन लिमिटेड, उत्सव सिक्योरिटीज लिमिटेड और सीतल लीजिंग एंड फाइनेंस है।

इससे पहले दिन में धनशोधन मामले में जांच एजेंसी ने देशमुख को जांच अधिकारी के समक्ष बयान दर्ज कराने के लिये बलार्ड एस्टेट स्थित ईडी दफ्तर में सुबह 11 बजे तलब किया था, लेकिन पूर्व मंत्री ने एजेंसी से पेशी के लिये नई तारीख दिए जाने का अनुरोध किया। देशमुख के वकीलों की टीम ईडी कार्यालय पहुंची और उसने पेशी के लिए कोई और तिथि दिए जाने का अनुरोध किया। उन्होंने जांचकर्ताओं को देशमुख का लिखा एक पत्र भी सौंपा।

ईडी ने अदालत को बताया कि धनशोधन में देशमुख की मदद करने में पलांडे और शिंदे सहायक थे। बंबई उच्च न्यायालय के आदेश पर सीबीआई ने पहले एक शुरुआती जांच (पीई) की थी और उसके बाद नियमित मामला दर्ज किया था। सीबीआई के मामले के बाद ईडी ने इस संबंध में देशमुख और अन्य के खिलाफ जांच शुरू की थी।

दोनों की हिरासत मांगते हुए ईडी ने अदालत को बताया कि कुछ बार मालिकों-प्रबंधकों ने अपने बयानों में कहा कि तब अपराध आसूचना इकाई (सीटीयू) के प्रमुख रहे सचिन वाजे ने अपने दफ्तर में बार मालिकों के साथ एक बैठक की थी। यह बैठक उनके ऑर्केस्ट्रा बार के निर्धारित अवधि के बाद भी बिना किसी रुकावट के चालू रहने और प्रदर्शन करने वाले कलाकारों पर किसी तरह की बंदिश नहीं लगाने को लेकर थी।

ईडी ने कहा कि इन बयानों से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि वाजे ने मुंबई के विभिन्न ऑर्केस्ट्रा बार मालिकों से 4.70 करोड़ रुपये लिये थे। ईडी ने अदालत को बताया कि वाजे ने बाद में एक बयान में कहा कि उसे पुलिस जांच से संबंधित कई मामलों में तत्कालीन गृह मंत्री से सीधे निर्देश मिलते थे।

ईडी ने कहा कि वाजे के मुताबिक, उसे महाराष्ट्र के गृह मंत्री के आवास पर हुई एक बैठक में बार और रेस्तरां मालिकों की एक सूची दी गई थी। ईडी ने बर्खास्त पुलिस अधिकारी के बयान का हवाला देते हुए कहा कि वाजे ने कहा कि उससे हर बार और रेस्तरां से हर महीने तीन लाख रुपये वसूलने को कहा गया और इसके लिये विभिन्न बार मालिकों के साथ एक बैठक आयोजित की गई थी।

ईडी ने कहा कि वाजे ने यह भी कहा था कि उसने दिसंबर 2020 और फरवरी 2021 के बीच विभिन्न बार मालिकों से करीब 4.70 करोड़ रुपये एकत्र किये थे, जिसे उसने दो किश्तों में कुंदन शिंदे को सौंप दिया था।

उद्योगपति मुकेश अंबानी के मुंबई स्थित आवास के बाहर एक एसयूवी से विस्फोटक सामग्री मिलने और उसके बाद कारोबारी ठाणे स्थित कारोबारी मनसुख हिरन की हत्या के मामले में जारी एनआईए जांच के सिलसिले में वाजे फिलहाल न्यायिक हिरासत में है।

ईडी ने कहा कि उसे जांच के दौरान नागपुर स्थित श्री साई शिक्षण संस्था नाम के एक धर्मार्थ न्यास का पता चला, जिसका संचालन देशमुख परिवार द्वारा किया जाता है। अनिल देशमुख न्यास के अध्यक्ष हैं और उनके परिवार के सदस्य न्यासी व सदस्य हैं।

ईडी ने कहा कि न्यास द्वारा नागपुर में इंजीनियरिंग, एमबीए और पॉलीटेक्निक कॉलेजों का संचालन किया जा रहा है। हालांकि, ट्रस्ट के खातों का विवरण देखने पर खुलासा होता है कि हाल ही में तीन चेकों के जरिये करीब 4.18 करोड़ रुपये की रकम इनमें डाली गई।