पूर्व सांसद और बाहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन की जमानत के खिलाफ बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका पर सुनवाई गुरुवार के लिए टाल दी गई है। बता दें, शहाबुद्दीन को सात सितम्बर को पटना उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी थी जिसके बाद दस सितम्बर को वह भागलपुर जेल से रिहा हो गए थे। बिहार सरकार ने शहाबुद्दीन की जमानत रद्द करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी।
याचिका में बिहार सरकार ने कहा था कि उच्च न्यायालय में राज्य के पक्ष को उचित ढंग से नहीं सुना गया और गवाहों की सुरक्षा से संबंधित अदालत द्वारा पूर्व में जताई गई सारी चिंताओं को दरकिनार करके इस हिस्ट्रीशीटर को जमानत दी गई। बिहार सरकार के अलावा शहाबुद्दीन की जमानत रद्द करने के लिए वकील प्रशांत भूषण ने भी याचिका लगाई थी। भूषण ने सीवान निवासी चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू की ओर से याचिका दायर की। चंदा बाबू के तीन बेटों की हत्या के मामले में शहाबुद्दीन अभियुक्त हैं। अपनी याचिका में प्रसाद ने कहा कि सीवान से चार बार सांसद रहे शहाबुद्दीन के खिलाफ 58 आपराधिक मामले दर्ज हैं जिनमें से कम से कम आठ में उनको दोषी करार दिया गया है और दो मामलों में उम्रकैद की सजा सुनाई गई, इसके बावजूद उनको जेल से बाहर निकलने दिया गया।
Mohammad Shahabuddin bail cancellation matter: Hearing in SC deferred for tomorrow.
— ANI (@ANI) September 28, 2016
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दूसरी तरफ, बिहार सरकार के वकील गोपाल सिंह ने कहा कि उच्च न्यायालय इस साल फरवरी में दिए अपने उस आदेश का अनुसरण करने में नाकाम रहा जिसमें निचली अदालत से कहा गया था कि राजीव रोशन हत्याकांड में सुनवाई को नौ महीने के भीतर पूरा किया जाए। बिहार सरकार ने यह भी कहा कि उच्च न्यायालय ने उसकी ओर से पहले लाए गए इस महत्वपूर्ण पहलू को नजरअंदाज कर दिया कि इन मामलों में गवाह डर की वजह से गवाही देने के लिए नहीं आए।
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