मोदी सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को 10% आरक्षण देने का फैसला किया है। कल (मंगलवार को) लोकसभा में संविधान संशोधन बिल लाया जाएगा। विश्लेषकों की मानें तो हाल के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को झटका लगा, जिसके बाद पार्टी को अहसास हुआ कि परंपरागत वोट खिसक रहा है। ऐसे में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार ने आरक्षण का यह दांव चला है। फिलहाल सरकार संविधान में संशोधन का बिल लाने की तैयारी कर रही है। गौरतलब है कि एससी/एसटी एक्ट में संशोधन के बाद सवर्ण वर्ग का बड़ा तबका मोदी सरकार और बीजेपी से नाराज चल रहा है।
केजरीवाल ने दिया चैलेंज : इस बीच दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी को चैलेंज दे दिया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा- चुनाव के पहले भाजपा सरकार संसद में संविधान संशोधन करे। हम सरकार का साथ देंगे। नहीं तो साफ हो जाएगा कि लोकसभा चुनाव से यह महज भाजपा का स्टंट है।
यह बदलाव किया था मोदी सरकार ने : बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट में बदलाव करते हुए कहा था कि इससे संबंधित मामलों में तुरंत गिरफ्तारी नहीं की जाएगी। इसके बाद अप्रैल 2018 में पिछड़ी जाति के लोगों ने देश में बड़ा आंदोलन किया। उस दौरान देश के कई हिस्सों में जमकर हिंसा हुई।
BJP के खिलाफ हुए प्रदर्शन : एनडीए में शामिल बीजेपी के कई साथी दलों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ सरकार पर दबाव बनाया। ऐसे में केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलट दिया था, जिससे सवर्ण पार्टी से नाराज हो गए थे। मध्य प्रदेश में तो जगह-जगह इसके खिलाफ हिंसक प्रदर्शन भी हुए। हालत इस कदर बदतर हो गए कि मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर चप्पल फेंकी गई। जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान उन पर पत्थर फेंके गए थे और काले झंडे दिखाए गए थे।
यह खमियाजा भुगता बीजेपी ने : एससी/एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटने के बाद बीजेपी सरकार को सवर्णों के गुस्से का सामना करना पड़ा। बीजेपी के अध्यादेश लाने से मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के सवर्ण वोटर काफी नाराज थे। ऐसे में पार्टी को इन तीनों हिंदी भाषी राज्यों में विधानसभा चुनावों के दौरान हार मिली। पार्टी की हालत ऐसी हो गई कि सवर्ण उससे नाराज रहे। वहीं, एससी-एसटी वर्ग की तरफ से भी बहुत ज्यादा समर्थन नहीं मिला।