केंद्र सरकार ने कश्मीर घाटी में वर्षों से बंद पड़े मंदिरों और पूजा गृहों को खोलने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। इसके लिए भारत सरकार सर्वे भी करा रही है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने आज बंगलुरू में कहा कि सरकार ने कमेटी गठित कर दी है। उससे पूरी घाटी का व्यापक सर्वेक्षण करके रिपोर्ट देने को कहा गया है। इससे वहां पर फिर से लोग पूजापाठ और भजन-कीर्तन कर सकेंगे।
कश्मीरी पंडितों के पलायन से सूने पड़े मंदिर : उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में करीब 50 हजार मंदिर बंद हुए हैं। इन मंदिरों में कुछ नष्ट हो गए हैं, जबकि कुछ में मूर्तियां टूट गई हैं। दरअसल पहले वहां लाखों कश्मीरी पंडित रहा करते थे। पिछले कुछ दशकों में वहां आतंकवाद के पनपने और खूनखराबे का दौर शुरू होने के बाद भारी संख्या में कश्मीरी पंडित घाटी से पलायन को मजबूर हुए।
काफी संख्या में मारे गए स्थानीय हिंदू : कुछ कश्मीरी पंडित और अन्य हिंदू वहां रुके रह गए थे, लेकिन उनमें से अधिकतर को आतंकियों ने मार डाला। इससे वहां के मंदिरों और पूजा गृहों की देखरेख करने वाला कोई नहीं बचा। धीरे-धीरे वह नष्ट होने लगे। घाटी में कई प्रसिद्ध और बड़े मंदिर हैं जैसे शोपिया में भगवान विष्णु का मंदिर और पहलगाम में भगवान शिव का प्राचीन मंदिर, लेकिन उनकी देखरेख नहीं होने से वह बंद हैं। वहां न तो कोई पूजा करने जाता है और न ही कोई रखवाली करता है।
घाटी की रौनक फिर लौटेगी : सरकार का मानना है कि जल्द ही वहां पर मंदिरों-पूजा गृहों में घंटा-घड़ियालों की गूंज फिर सुनाई देगी। सरकार का प्रयास है कि कश्मीर की वह रौनक फिर लौटे जो आतंकवाद के पनपने से पहले थी। इसके लिए वहां के कश्मीरी पंडितों से बातचीत करके व्यवस्था सुधारी जाएगी। घाटी में अमन-चैन के लिए जरूरी है कि वहां पर वह स्थित फिर से बहाल हो।