महराष्ट्र के जल संसाधन राज्य मंत्री विजय शिवतारे के दामाद शिवदीप लांडे की पहचान एक सख्त पुलिसवाले के तौर पर होती है। मीडिया में वह ‘सिंघम’, ‘दबंग’ जैसे उपनामों से भी मशहूर हैं। हालांकि, हाल ही में एक घटना ऐसे हुई, जिससे यह पता चलता है कि मंत्री जी खुद जरूरत पड़ने पर अपराध करने वालों से मोर्चा लेने में किसी से कम नहीं। दरअसल, शिवतारे 5 अक्टूबर को पिंपरी चिंचवाड़ से पुणे जा रहे थे। सड़क की दूसरी साइड में उनके सामने एक दुर्घटना हुई। एक कार वाला एक बाइक सवार को टक्कर मारकर मौके से फरार हो रहा था। शिवतारे ने अपने साथ के लोगों को निर्देश दिए कि वे हादसे में घायल हुए दो लोगों की देखरेख करें। वहीं, मंत्री ने अपने कार ड्राइवर से कहा कि वह उस तेज रफ्तार कार सवारों का पीछा करे जो टक्कर मारकर मौके से भाग रहे थे। आखिरकार आरोपी पकड़े गए, जिन्हें पुलिस को सौंप दिया गया।

हालांकि, यह पहली बार नहीं है कि जनप्रतिनिधियों ने सड़क पर ऐसे किसी हादसे के दौरान लोगों की मदद की हो। पिछले महीने ही बीजेपी की महिला सांसद अंजुबाला के भी सड़क हादसे में घायल तीन लोगों की मौके पर मदद करने की घटना सामने आई थी। घटना यूपी के हरदोई जिले में हुई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अंजुबाला एक कार्यक्रम में शामिल होने के बाद लौट रही थीं कि उन्हें सड़क पर तीन घायल लोग नजर आए। अंजुबाला ने उनकी मदद के लिए पुलिस और एंबुलेंस को बुलवाया। एंबुलेंस आने में देरी हुई तो सांसद ने तीनों को अपनी ही कार से अस्पताल पहुंचाया। मौके पर मौजूद कुछ लोगों ने इस पूरी घटना का वीडियो बनाया था, जो कि बाद में वायरल हो गया।

जनप्रतिनिधियों का यह व्यवहार संवेदनाहीन होते इस समाज के लिए किसी नजीर से कम नहीं। इस साल जुलाई में ही राजस्थान में सड़क दुर्घटना का एक ऐसा मामला सामने आया, जहां लोग घायलों की मदद करने के बजाए घटनास्थल पर तस्वीरें खींचते और सेल्फी लेते नजर आए। बाड़मेर जिले में 10 जुलाई को हुई इस सड़क दुर्घटना में तीन लोग बुरी तरह घायल हो गए थे। एक शख्स की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि बाकी दो शख्स आसपास मौजूद लोगों से मदद की गुहार लगाते रहे। वहीं, वहां मौजूद लोग सेल्फी लेने में व्यस्त रहे। बाकी दो लोग भी अस्पताल पहुंचने से पहले मारे गए। यदि इन घायलों को वक्त पर मदद मिलती तो उनकी जान बच सकती थी। (इनपुट्स के साथ)