जेडीयू नेता नीतीश कुमार ने सोमवार को सातवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनके साथ भाजपा कोटे से सात और जेडीयू कोटे से पांच नेताओं ने मंत्री पद की शपथ। ‘हम’ पार्टी और वीआईपी से भी एक-एक नेता ने मंत्री पद की शपथ ली। मंत्री पद की शपथ लेने वाले नेताओं में मेवा लाल चौधरी के नाम की चर्चा है। चौधरी जेडीयू के टिकट पर मुंगेर के तारापुर से दूसरी बार विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे हैं।
मेवा लाल चौधरी का नाता विवादों से घिरा रहा है। नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले चौधरी रिटायर्ड होकर राजनीति में आए। 2015 में ही उन्होंने तारापुर से चुनाव लड़ा और जीत गए। मगर चुनाव जीतने के बाद ही मेवा लाल चौधरी नियुक्ति घोटाले में आरोपी साबित हो गए। चौधरी पर जस्टिस महफूज आलम कमेटी की जांच में सबौर कृषि विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक-जूनियर वैज्ञानिकों की बहाली में धांधली का आरोप साबित हुआ।
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तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मेवा लाल चौधरी को लेकर नीतीश कुमार पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि नियुक्ति में व्यापक धांधली के आरोप के बावजूद मुख्यमंत्री ने मेवा लाल चौधरी को जेडीयू का टिकट देकर विधायक बनाया। आरोप से संबंधित फाइल महीनों तक मुख्यमंत्री के पास पड़ी रही। बता दें कि जब नीतीश कुमार ने मामले में जांच के आदेश नहीं दिए तब राज्यपाल के निर्देश पर गठित जस्टिस महफूज आलम कमेटी ने जांच की।
उनपर विश्वविद्यालय के 161 सहायक प्राध्यापक-जूनियर साइंटिस्ट के पदों पर 2012 में हुई बहाली में बड़े पैमाने पर धांधली और पैसों के लेन-देन का आरोप है। चौधरी को मुख्यमंत्री का संरक्षण होने के कारण यह मामला वर्षों तक लटका रहा। अब नीतीश कुमार ने उन्हें अपनी कैबिनेट में शामिल किया है।