ग्यारह साल पहले 18 मई, 2007 को हैदराबाद के मक्का मस्जिद में जुमे के दिन हुए पाइप बम धमाके में आधा दर्जन से ज्यादा लोगों ने अपने प्रियजनों को खो दिया था। धमाके में अपनों को खोने वालों में रियाज खान भी एक हैं। रियाज के दादा का निधन हो गया था, ऐसे में उनके पिता यूसुफ खान और साले शफीक-उर-रहमान उस दिन मस्जिद में नमाज पढ़ने गए थे। लेकिन, वे दोनों वापस घर कभी नहीं लौटे। एनआईए की विशेष अदालत ने इस मामले में सोमवार (16 अप्रैल) को स्वामी असीमानंद समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया। फैसले के एक दिन पहले ही रियाज ने इंसाफ मिलने की उम्मीद जताई थी। उन्होंने कहा था कि वह इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि ऊपर वाला दोषियों को सजा जरूर देगा।
अचानक से आ गई थी परिवार की जिम्मेदारी: मक्का मस्जिद ब्लास्ट के वक्त रियाज 19 साल के थे। उनके पिता यूसुफ घर में एकमात्र कमाऊ व्यक्ति थे। वह ऑटो चालक थे, जिनकी कमाई से परिवार का खर्चा चलता था। पिता के धमाके में मारे जाने के बाद रियाज के कंधों पर अचानक से एक विधवा बहन, दो छोटे भाई और एक छोटी बहन की जिम्मेदारी आ गई थी। इसके कारण उन्हें नौवीं कक्षा में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ गई थी। एनआईए की विशेष अदालत ने 11 साल बाद 16 अप्रैल को इस मामले में फैसला सुनाया। रियाज ने कहा, ‘पिता के निधन के बाद जिंदगी की जद्दोजहद में इस कदर उलझा कि हादसे के 11 साल बीत गए इसका विश्वास नहीं होता।’
केस पर नजर रखना भी छोड़ दिया था: रियाज ने बताया कि शुरुआत के कुछ महीनों में उन्होंने मामले की कानूनी कार्रवाई पर नजर रखी थी। रियाज ने कहा, ‘महीने और साल दर साल गुजरने के बाद मैं इस मामले को भूल चुका था। मैं तो यह भी नहीं जानता कि यह मामला किस अदालत में चल रहा है। मैंने कुछ मुस्लिम लड़कों के गिरफ्तार होने की बात सुनी थी। फिर पता चला कि धमाके के पीछे एक हिंदू संगठन और असीमानंद शामिल थे।’ बता दें कि यह धमाका 18 मई, 2007 को दोपहर बाद तकरीबन 1.15 बजे हुआ था। यूसुफ और शफीक समेत आठ लोगों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई थी। इसके बाद भड़की हिंसा में पांच लोगों की मौत हो गई थी। रियाज के मां का वर्ष 2001 में ही निधन हो गया था।
सरकारी आईटीआई में मिली नौकरी: रियाज को शुरुआत में परिवार का भरण-पोषण करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। बाद में उन्हें मल्लेपल्ली स्थित सरकारी आईटीआई में सबऑर्डिनेट की नौकरी मिल गई थी। इसके साथ ही सरकार की ओर से 5 लाख रुपये का मुआवजा भी मिला था। बता दें कि धमाका के बाद काम की तलाश में मक्का मस्जिद इलाके से कई पीड़ित परिवार दूसरी जगहों पर चले गए थे।