दिल्ली की सत्ता पर काबिज पार्टी, जिसे निगम में सबसे अधिक सीटें मिली हैं। बावजूद इसके उसे अदालत का रुख करना पड़ा, तब जाकर उम्मीदवार को फौरी तौर पर राहत मिली और अदालत के आदेश के बाद एक फिर से मेयर के चुनाव को लेकर एक बार फिर से सरगर्मियां तेज हो गई हैं।

भले ही अदालत के आदेश के बाद पार्टी कार्यकतार्ओं में खुशी है, लेकिन पार्टी के अंदरखाने इस बात की चर्चा है कि कहीं पिछली तीन बार की तरह इस बार भी सदन की बैठक हंगामे की भेंट न चढ़ जाए। हालांकि, मेयर पद के उम्मीदवार को इस बात की उम्मीद है कि इस बार चुनाव होकर रहेगा।

त्रिपुरा चुनाव से नोएडा गरम

भले ही त्रिपुरा चुनाव के नतीजे अगले महीने आएंगे लेकिन इसको लेकर गौतमबुद्ध नगर के राजनीतिक गलियारों में खासी गहमा-गहमी है। त्रिपुरा में भले ही सत्तारूढ़ भाजपा की वापसी हो या नहीं, इसका कोई सीधा सरोकार गौतमबुद्ध नगर से नहीं है। लेकिन यह चुनाव भाजपा के लिए अग्नि परीक्षा से कम नहीं है। त्रिपुरा में भाजपा के प्रभारी व क्षेत्रीय सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री डा. महेश शर्मा की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जहां त्रिपुरा चुनाव परिणाम भाजपा की अग्नि परीक्षा है। वहीं, डा. महेश शर्मा की प्रतिष्ठा भी इसी नतीजे के दांव पर लगी हुई है। माना जा रहा है कि चुनाव नतीजे उनके आगामी राजनैतिक भविष्य को तय करने में अहम किरदार अदा करेंगे।

कांग्रेस ने मानी हार

दिल्ली एमसीडी में कांग्रेस की हालत सबसे खराब है। दो पार्षदों के आम आदमी पार्टी में चले जाने के बाद एमसीडी में मात्र 7 पार्षद वाली कांग्रेस के सामने कई सवाल खड़े किए जा रहे हैं। हालांकि, दिल्ली नगर निगम के चुनाव में कांग्रेस ने इस बार सदन चालू होने से पहले ही हार मान ली। बेदिल को पता चला कि दरअसल, कांग्रेस इस बार नौ सीटों पर सिमट कर रह गई और उसमें भी एका का अभाव परिणाम के दूसरे दिन से साफ दिखने लगा है अलबत्ता पार्टी आलाकमान मानती है कि इन्हें निगम में कोई बड़ा ओहदा मिलेगा तब तो यह हाथ से निकल जाएंगे। लिहाजा इन्हें बस पार्षद तक रहने दिया जाए।

ब्लू टिक से आफत

जेल में बंद दिल्ली सरकार के मंत्री का शांत मामला अब एक ब्लू टिक ने उठा दिया है। दरअसल बीते कई माह से जेल में बंद दिल्ली सरकार के मंत्री अब तक केवल वहां मिल रही सेवाओं के लिए चर्चा में थे। इसे लेकर दिल्ली सरकार व उपराज्यपाल का सीधा टकराव भी देखने को मिला था। बीते कई दिनों ने यह मामला शांत था लेकिन अचानक एक ट्वीट के लिए प्रयोग होने वाले ब्लू टिक वापस होने के मामले को लेकर मंत्री फिर चर्चा में है। भाजपा द्वारा सरकार को घेरा जा रहा है और कहा जा रहा है कि अब तो ब्लू टिक भी वापस हो गया। मंत्री का दर्जा कब तक चलेगा।
-बेदिल