सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी-एसटी आरक्षण को लेकर दिए गए निर्णय पर यूपी की बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि मोदी सरकार को केवल आश्वासन देने से काम नहीं चलेगा। उन्होंने मांग करते कहा कि सरकार को चाहिए कि इस मामले को लेकर केंद्र सरकार संसद का विशेष सत्र बुलाए। जिसमें केंद्र सरकार एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमीलेयर की स्थिति को पूरी तरह से स्पष्ट करे।

यूपी की मुख्यमंत्री मायावती ने शनिवार को लखनऊ में बसपा कार्यालय पर प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त को ही फैसला दिया था। लेकिन अभी तक इस फैसले को लेकर केंद्र सरकार अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं कर पाई है। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि केंद्र सरकार केवल आश्वासन दे रही हैं। जिससे काम नहीं चलेगा। प्रधानमंत्री अगर सही और साफ नियत के साथ दलितों और आदिवासियों के साथ हैं तो उनको संसद का विशेष सत्र बुलाकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।

इसके साथ ही मायावती ने ये भी कहा कि जब कोर्ट ने आदेश दिया उस समय संसद चल रही थी। लेकिन बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों ने जो काम किया उससे यही पता चलता है कि दोनों ही पार्टी आरक्षण के खिलाफ हैं। वो चाहते तो इस मामले को लेकर संसद में बिल ला सकते थे। वो लोग नौकरियों को खत्म करते हुए संविदा कर्मचारियों की तैनाती करके आरक्षण को समाप्त करना चाहते हैं।

बीजेपी कांग्रेस दोनों ने एससी-एसटी को दिया धोखा

मायावती ने कहा कि लोकसभा चुनाव में संविधान बचाने का नाटक करने वाले भी इस समय कुछ नहीं बोल रहे हैं। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के क्रीमीलेयर को लेकर और आरक्षण को लेकर बोलने से भी कतरा रहे हैं। समाजवादी पार्टी या फिर कांग्रेस दोनों पार्टियों ने एससी-एसटी के इस निर्णय का मुद्दा संसद में नहीं उठाया। देश में रहने वाले 40 करोड़ एससी-एसटी लोगों को कांग्रेस-बीजेपी दोनों दलों ने ठका है।