मथुरा जिले के कुड़वारा गांव में एक गाय की मौत बाद लोगों में सांप्रदायिक सौहार्द का उदाहरण देखने को मिला। गांव में कई मुसलमानों सहित हजारों लोग गाय के मरने के बाद उसके अंतिम संस्कार और इसके बाद हुई तेरहवीं में भी शामिल हुए। मामले में अर्जुन नाम के एक ग्रामीण ने बताया कि यह गाय मूल रूप से महंत देवदास की थी, जिनकी मृत्यु सात-आठ साल पहले हो गई थी। इसके बाद से गांव वाले इस गाय की देखभाल करते थे। अब गाय के मरने के बाद आस पास के और गांव में बसे लोग एकजुट हुए हैं और उसको अंतिम विदाई दी है।

अंतिम संस्कार में मुसलमानों ने लिया भागः इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ता कुशल प्रताप सिंह ने बताया कि गांव में रहनें वाले हाकिम खान और उनके परिवार के सदस्यों ने तीन सितंबर को गाय के मरने के बाद उसके हर संस्कार में भागीदारी की। इन लोगों की भागेदारी को देख अन्य गांव वाले भी इस संस्कार में शामिल हुए।

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धार्मिक मान्यता के साथ हुआ गाय का अंतिम संस्कारः बता दें कि गाय लोगों के बीच काफी खास बन गई थी। महंत की मौत के बाद करीब सात-आठ साल से उसकी देखभाल करते करते लोगों को उससे गहरा लगाव हो गया था। गांव वाले भावनात्मक रूप से गाय से जुड़े हुए थे। इसलिए गांव के कुछ युवकों ने धार्मिक मान्यता के अनुसार गाय को बाकायदा समाधि दिलाने का निर्णय लिया। साथ ही, गाय की तेरहवीं की रस्म भी की गई।

चंदा कर गाय का अंतिम संस्कार और तेरहवीं हुआः सिंह ने कहा, ‘इसके लिए चंदा किया गया और तेरहवीं के भोज के लिए आसपास के गांवों के लोगों को न्योता भी दिया गया।’ बताया जा रहा है कि शनिवार (14 सितंबर) को हुए संस्कार में करीब 4,000 ग्रामीण जुटे थे।