हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने कहा कि वे अपना काम करने से पीछे नहीं हटेंगे, क्योंकि उनका मकसद सरकार चलाना है न कि सरकार बचाना। ‘जनसत्ता’ के साथ हुई मुलाकात में मुख्यमंत्री राज्य की विभिन्न समस्याओं व उनके समाधान पर बेबाक राय रख रहे थे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘भ्रष्टाचार पर नकेल कसना कोई आसान चुनौती नहीं, लेकिन मैं इसके लिए संकल्पबद्ध हूं। मेरा अपना कुछ भी दांव पर नहीं है। हर फैसले के लिए एक पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई जाती है और उस पर पूर्ण अमल किया जाता है। मैं किसी दबाव में नहीं आता, क्योंकि मुझे सरकार को बचाने की नहीं सरकार को चलाने की चिंता है’।

खट्टर ने कहा कि भ्रष्टाचार के मामले में बहुत फूंक-फूंककर कदम रखने की जरूरत होती है। ‘कई बार ऐसा भी होता है कि किसी खास काम को वैधता का लबादा ओढ़ा दिया जाता है। जैसे कोई नीति आने से पहले ही उसमें रुचि रखने वाले लोगों को सावधान करके सभी औपचारिकताएं पूरी करके उसे पूरी तरह सही तरीके से अंजाम दे दिया जाए। ऐसे में यह देखना होता है कि ऐसा कोई भी लाभ देते हुए उसके पीछे की भावना क्या थी? हम यह तय करना चाहते हैं कि हमारी नीतियों का ऐसा दुरुपयोग न हो’।

खट्टर ने माना कि प्रदेश में खासकर ग्रामीण इलाकों में बिजली के बिलों की वसूली एक बड़ी चुनौती है। हाल ही में हरियाणा विधानसभा में बताया गया कि प्रदेश में बिजली से होने वाला नुकसान 29,362 करोड़ हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा बिजली बिलों के बकाए को माफ करने के वादे के साथ ही ओम प्रकाश चौटाला को परास्त करके 2005 में सत्ता पर काबिज हुए थे। हरियाणा के ग्रामीण इलाकोें में बिजली के बिल न देने की आदत पुरानी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वे हर इलाके के विकास के लिए घोषणाएं करते समय लोगोें से बदले में यही मांगते हैं कि वे अपने बिलों का भुगतान करें। ‘मैं गांव में जब भी नई परियोजनाओं की घोषणा करता हूं तो लोगों से बदले में यही मांग करता हूं कि वे अपने बिलों का भुगतान करें और इसके सकारात्मक परिणाम भी मिल रहे हैं’।
एक अन्य अहम जानकारी देते हुए खट्टर ने कहा कि पिछले छह साल से अटकी पड़ी केएमपी एक्सप्रेस वे परियोजना के जल्द पूरा होने की उम्मीद है। ‘इस मामले में निर्माण कंपनियों का आपसी झगड़ा हो गया है। पलवल से मानेसर के बीच काम पूरा करने की दिशा में पुन: काम शुरू हो गया है। चूंकि केंद्र सरकार का रवैया भी इस दिशा में सकारात्मक है इसलिए जल्द ही इसे पूरा कर दिया जाएगा’।
ध्यान रहे, दो हजार करोड़ की लागत से बनने वाले केएमपी एक्सप्रेस वे के मालिकान के आपसी झगड़े के कारण और कुछ जमीन का अधिग्रहण रुके रहने के कारण इसका काम खटाई में पड़ गया था। इस एक्सप्रेस वे को 2009 में ही पूरा होना था। इसके बन जाने के बाद पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, जम्मू कश्मीर व चंडीगढ़ की गाड़ियों को उत्तर प्रदेश, राजस्थान व हरियाणा के ही कुछ अन्य हिस्सों से जाने के लिए दिल्ली में दाखिल नहीं होना पड़ेगा। इस एक्सप्रेस वे से दिल्ली के प्रदूषण में भी काफी फर्क आएगा। उन्होंने कहा कि मंगलवार को ही उन्होंने किसानों से जमीन के अधिग्रहण को मुकम्मल करवाने के लिए बात की है।
विरासत की राजनीति पर चोट करते हुए खट्टर ने कहा कि यह देखा गया है कि बहुत से राजनेताओं को उनके आसपास और परिवार के लोग ही खराब करते हैं। ‘मेरे यहां ऐसी कोई अड़चन नहीं। हाल ही में मेरे भाई को मुझसे मिलने आना था, तो वे भी मुलाकातियों के समय के दौरान ही मिलकर चले गए और किसी को मालूम भी नहीं पड़ा कि वे मुझसे मिलने आए थे’। परिवार के नाम पर संघ के प्रचारक से मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे खट्टर अकेले हैं। पुरानी सरकार की रवायत के प्रतिकूल मुख्यमंत्री आवास खाली पड़ा था। वहां न तो अधिकारियों, न ही मंत्रियों, न ही राजनेताओं और न ही लोगों की भीड़ थी।

इस अंतर पर खट्टर ने हंसते हुए कहा, ‘भीड़ जिन नेताओं के लिए लोकप्रियता की पहचान होगी, वह उनके लिए होगी। मेरा भीड़तंत्र में विश्वास नहीं। मैं तो चाहता हूं कि चाहे मुझे मुट्ठी भर लोग ही चुनें, बस वे जो कहें उस पर अमल कर लें, तो मेरी राजनीति कामयाब होगी। मुझे कुर्सी का ऐसा लोभ नहीं कि उसे बचाने के लिए मैं भीड़तंत्र का सहारा लूं’। उन्होंने कहा कि भीड़ से लोकप्रियता को आंकने के विचार को बदलने की कोशिश में वे शिद्दत से जुटे हैं।

खट्टर ने कहा, ‘जुटाई गई भीड़ से अच्छा है कि कम लोग भी रहें तो कोई बात नहीं। हमारी बैठकों में लोग स्वेच्छा से आ रहे हैं, न कि ढोकर लाए जा रहे हैं’। उनका मानना है कि जबरन लाए गए लोग आपकी नीतियों व कार्यक्रम के प्रति उस तरह से प्रतिबद्ध भी नहीं होते जितने स्वेच्छा से आए लोग।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार का अगला लक्ष्य राज्य में उद्योग-धंधों को आकर्षित करना है। ‘गुड़गांव को दिल्ली व अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से नजदीकी के कारण लाभ हुआ। हमारा लक्ष्य है कि गुड़गांव और तरक्की करे और इसके साथ ही बाकी इलाकों में भी तरक्की हो, क्योंकि समग्र विकास रोजगार से ही संभव है। हाउसिंग के तंत्र में यही हुआ। बड़ी तेजी से घर बनाए गए, लेकिन उनके समानांतर रोजगार का विकास नहीं हुआ, जिस वजह से हजारों घर खाली पड़े हैं। हमारी सरकार की भावी योजनाओं में प्रदेश के युवाओं को रोजगार के मौके मुहैया कराना शामिल है’।