दिल्ली पुलिस ने रविवार को कहा कि उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ शिकायत के सिलसिले में कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है। यह मामला आम आदमी पार्टी के विधायक दिनेश मोहनिया के ठीक उलट है जिसमें अपराध संज्ञेय प्रकृति के थे और उन्हें गिरफ्तार किया गया था क्योंकि वह जांच में शामिल नहीं हुए थे।

दिल्ली पुलिस के मुख्य प्रवक्ता ताज हसन ने बताया, ‘दिल्ली पुलिस को कई लोगों से शिकायत मिलती है। हमें गाजीपुर मंडी से शिकायत मिली। यदि शिकायत में कोई संज्ञेय अपराध शामिल हुआ तो हम कार्रवाई करते हैं। हमें मिली शिकायत में कोई संज्ञेय अपराध शामिल नहीं था।’ उन्होंने कहा, ‘दिनेश मोहनिया मामले में शिकायत संज्ञेय थी। मजिस्ट्रेट के समक्ष महिला का बयान दर्ज करने के बाद गिरफ्तारी की गई।

इसके अलावा वह जांच में शामिल नहीं हो रहे थे, इसलिए गिरफ्तारी की गई।’अधिकारी ने कहा, ‘कई जनप्रतिनिधि अन्य जनप्रतिनिधियों के खिलाफ शिकायतें देते हैं।किंतु कार्रवाई केवल कानूनी समीक्षा के बाद ही होती है। दिल्ली पुलिस स्पष्ट करती है कि शिकायत पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जाएगी। सीआरपीसी की धारा 144 लागू होने के बावजूद विधायक वहां पहुंच गये थे।’ मोहनिया मामले पर पुलिस उपायुक्त (दक्षिण) ईश्वर सिंह ने कहा, ‘पीड़ितों द्वारा सीआरपीसी की धारा 164 (न्यायिक बयान) के तहत दिए गए बयान के आधार पर अन्य धाराएं भी शामिल की गईं। दिनेश मोहनिया को दो बार नोटिस भेजा गया। उनसे जांच में शामिल होने को कहा गया। वह बचते रहे।’

उन्होंने कहा, ‘ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वह सहयोग नहीं दे रहे हैं। लिहाजा गिरफ्तारी की गई। संवाददाता सम्मेलन काफी समय से चल रहा था। उनका आचरण असहयोगात्मक एवं बचने वाला था। उन्होंने गोविंदपुरी के एक निवासी को थप्पड़ भी मारा था।’ सत्तारू ढ़ आप के 52 विधायकों ने रविवार को किए गए एक नाटकीय घटनाक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास तक मार्च निकाला ताकि उनके समकक्ष समर्पण किया जा सके लेकिन उन्हें एक एक किलोमीटर पहले ही हिरासत में ले लिया गया। छह मंत्रियों सहित विधायकों को निषेधाज्ञा के उल्लंघन के आरोप में हिरासत में ले लिया गया है। पुलिस ने इन विधायकों को रेस कोर्स मेट्रो स्टेशन के बाहर हिरासत में लिया था और उन्हें संसद मार्ग पुलिस थाने में ले जा गया है। हालांकि उन्हें कुछ समय बाद रिहा कर दिया।