हिमाचल प्रदेश विधानसभा के चुनाव दिसंबर 2022 में होने हैं और इसके लिए चुनावी बिसात बिछ गई है। कुछ अपवादों को छोड़ दें तो हिमाचल की राजनीति में आम तौर पर दो ही दलों कांग्रेस व भाजपा के बीच टक्कर होती आई है। यह भी कह सकते हैं कि सत्ता का बंटवारा इन्हीं दो दलों के बीच होता आ रहा है, मगर इस बार पंजाब की जीत से अति उत्साहित आम आदमी पार्टी झाड़ू लेकर पहाड़ चढ़ने के इरादे से हिमाचल को गंभीरता से ले रही है।
आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री सत्येंद्र जैन महीनों से हिमाचल में डटे हैं। वह यहां के प्रभारी बनाए गए हैं। आप की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसके सुप्रीमो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को लेकर हिमाचल के सबसे पहले दौरे पर छह अप्रैल को मंडी पहुंचे। रोड शो किया और अपनी ताकत दिखाई।
कांग्रेस भाजपा के कई नामी चेहरों को आम आदमी पार्टी तोड़ कर अपने साथ मिला चुकी है। भले ही अभी यहां पर उसका पंजाब के तरह प्रभावी संगठन नहीं है मगर दिल्ली माडल की बात करके भ्रष्टाचार को खत्म करने, बिजली पानी मुफ्त बांटने जैसे मुद्दों को लेकर जिस तरह से आम आदमी पार्टी जनता के बीच जा रही है, उससे निश्चित तौर पर भाजपा कांग्रेस में घबराहट पैदा हुई है।
राजनीतिक पंडितों का यह आकलन था कि आम आदमी पार्टी प्रदेश में ज्यादा नुकसान कांग्रेस को ही कर रही है। कांग्रेस जो उपचुनावों में एकतरफा जीत के बाद सातवें आसमान पर पहुंच कर अपने को सत्ता में आ चुकी ही समझने लगी थी, के चेहरे पर भी आम आदमी पार्टी ने चिंता की लकीरें खींच दी और कई धड़ों में बंटी कांग्रेस को डर सताने लग गया।
कांग्रेस के पक्ष में जो प्रदेश में माहौल बनता दिखने लगा था, वह आम आदमी पार्टी के दखल ने खराब कर दिया। सत्ता में आने को आतुर बैठी कांग्रेस में छटपटाहट व गुटबंदी बढ़ी तो आलाकमान ने बड़ा दांव खेल कर मंडी की सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर सारी कांग्रेस को फिलहाल एक मंच पर खड़ा कर दिया।
अब इस नए घटनाक्रम ने भाजपा के भी कान खड़े कर दिए। दोबारा सत्ता में आने के लिए मनोबल तैयार कर चुकी भाजपा के लिए प्रतिभा का अध्यक्ष बनना व आम आदमी पार्टी का दखल एक बड़ी चुनौती बनता दिख रहा है। चूंकि मंडी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का गृह जिला है और पिछले चुनावों में जिले से नौ भाजपा को सीट मिली थी। इसके अलावा एक भाजपा का साथ देने वाला निर्दलीय विधायक चुना गया था। कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिल पाई थी। ऐसे में इस आंकड़े का बरकरार रखना या इसके नजदीक बने रहना मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के लिए कड़ी चुनौती के तौर पर देखा जा रहा है।
प्रदेश में भाजपा की सरकार के होते हुए व जयराम ठाकुर के मंडी से होने के बावजूद भी लोकसभा उपचुनाव में भाजपा की हार हो गई, प्रतिभा सिंह की अप्रत्याशित जीत हो गई है, कहा गया कि यह सब पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन से उपजी सहानुभूति लहर के कारण हुआ, मगर सच्चाई तो यह है कि प्रतिभा के अध्यक्ष बनने से कांग्रेस में गुटबंदी कम हुई है और कार्यकर्ताओं में जोश बढ़ा है।
यही कारण है कि उनके अध्यक्ष बनने को भाजपा यदि हल्के में लेती है तो यह उसके लिए घाटे का सौदा हो सकता है। प्रतिभा का मंडी संसदीय क्षेत्र जिसके तहत विधानसभा की 17 सीटें आती है, में अच्छा प्रभाव है। वे उलटफेर कर सकती हैं, ऐसे में कहा जा सकता है कि आगामी विधानसभा चुनावों के लिए मंडी ही असली जंग का अखाड़ा बनेगा।