साल 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में दो फरार आरोपियों, राम चंद्र कालसंग्र और संदीप डांगे का जिक्र पिछले हफ्ते एनआईए द्वारा दाखिल आरोपपत्र में ‘आरएसएस कार्यकर्ता ’ के रूप में किया गया है। कालसंग्र को आरोपी नंबर 13 और डांगे को आरोपी नंबर 14 को बताते हुए एनआईए ने अपने आरोपपत्र में पेशा वाले कॉलम में दोनों का जिक्र ‘आरएसएस कार्यकर्ता’ के रूप में किया है। विस्फोटों के सिलसिले में इनके नाम आने के बाद से दोनों लोग फरार हैं। दोनों को अन्य मामलों में भी आरोपी नामजद किया गया है जिनमें 2007 में हुआ समझौता ट्रेन विस्फोट भी शामिल है जिसमें 68 लोग मारे गए थे।
मालेगांव आरोपपत्र में अपने अपने कार्यकर्ताओं का नाम आने पर टिप्पणी करने को कहे जाने पर संघ संचार विभाग प्रमुख मनमोहन वैद्य ने कहा, ‘वे लोग आरएसएस के साथ थे। हमें उनका अता पता नहीं हैं। ना ही हम मामले में उनकी संलिप्तता के बारे में जानते हैं।’ वैद्य ने कहा, ‘हम किसी भी तरह की हिंसा का समर्थन नहीं करते। लेकिन पूरी घटना की एक गहन न्यायिक जांच होनी चाहिए और दोषी पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को दंडित किया जाना चाहिए।’
सीबीआई ने कालसंग्र और डांगे को भगोड़ा घोषित कर रखा है और एनआईए ने उनकी गिरफ्तारी कराने वाली कोई सूचना देने पर 10 लाख रुपए के इनाम की घोषणा की है। उनके खिलाफ इंटरपोल का एक रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी है। एनआईए के आरोपपत्र के मुताबिक दोनों लोगों के कुछ परिचितों और सहयोगों से पूछताछ की गई जिस दौरान एजेंसी ने आरोप लगाया कि मालेगांव विस्फोट के समय जिन मोबाइल फोन नंबरों का पता लगाया गया उन्हें आरोपी ने इस्तेमाल किया था।
कालसंग्र उर्फ रामजी और डांगे पर आरोप है कि उन्होंने मध्य प्रदेश के देवास में बागली हिल टॉप पर कुछ आरोपियों को हथियार एवं विस्फोटक का प्रशिक्षण दिया था। एनआईए ने बताया कि 29 सितंबर 2008 को मालेगांव स्थित एक मस्जिद के बाहर जिस दो पहिया वाहन में विस्फोटक रखे गए थे उसे कालसंग्र पिछले दो साल से इस्तेमाल कर रहा था। यह वाहन साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के नाम से पंजीकृत है जिन्हें एनआईए ने क्लीन चिट दे दी है। 2008 के मालेगांव विस्फोट में सात लोग मारे गए थे।