उत्तर प्रदेश की मैनपुरी लोकसभा सीट पर उपचुनाव (Mainpuri Bypoll) के लिए वोटिंग जारी है। ये सीट समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) का गढ़ रही है। सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के निधन के चलते ये सीट खाली हुई और उपचुनाव में यहां से पार्टी ने डिंपल यादव (Dimple Yadav) को उम्मीदवार बनाया है। डिंपल यादव सपा प्रमुख अखिलेश यादव (SP Chief Akhilesh Yadav) की पत्नी हैं। मैनपुरी लोकसभा सीट पर सपा का दबदबा कायम रखना अखिलेश यादव के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।

जानिए मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव से जुड़ी 10 अहम बातें

  1. मैनपुरी लोकसभा सीट से डिंपल यादव के खिलाफ बीजेपी के रघुराज सिंह शाक्य उप चुनाव लड़ रहे हैं, जो अपनी जीत का दावा कर रहे हैं।
  2. मुलायम सिंह यादव ने पांच बार इस सीट पर जीत हासिल की है। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में उनकी जीत का अंतर बेहद कम था। कयास लगाए जा रहे हैं कि समाजवादी पार्टी के लिए इस बार राह आसान नहीं होगी।
  3. समाजवादी पार्टी ने अखिलेश यादव और उनसे अलग रह रहे उनके चाचा शिवपाल यादव के बीच एकता का सार्वजनिक प्रदर्शन करते हुए कहा कि दोनों प्रमुख नेताओं ने अपने मतभेदों को दूर कर लिया है और अब दोनों नेता साथ हैं।
  4. समाजवादी पार्टी वोटिंग के दौरान पुलिस पर पक्षपात करने का आरोप लगा है कि पुलिस सत्ता के अधीन होकर काम कर रही है।
  5. डिंपल यादव 2019 का लोकसभा चुनाव कन्नौज विधानसभा सीट से लड़ी थीं लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। उस समय वह कन्नौज से सांसद थीं।
  6. आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव में हार के बाद अखिलेश यादव के लिए ये चुनाव प्रतिष्ठा बन गया है।
  7. पूरा यादव परिवार मैनपुरी में चुनाव प्रचार में जुटा रहा। 2016 के बाद पहली बार शिवपाल यादव और अखिलेश यादव ने एक साथ कई बार मंच साझा किया।
  8. शिवपाल यादव ने ट्वीट कर कहा, “मैं आप सभी मैनपुरी लोकसभा के मतदाताओं से मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव -2022 में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने की अपील करता हूं। आपका हर एक मत, लोकतंत्र की ताकत है। तरक्की, खुशहाली व मैनपुरी के सर्वांगीण विकास के लिए आज अपना वोट डालने जरूर जाएं।”
  9. आजमगढ़ में हार के बाद अखिलेश यादव पर आरोप लग रहे थे कि वो चुनाव प्रचार के दौरान मैदान में नहीं आयें, जिस कारण पार्टी की हार हुई।
  10. अखिलेश यादव भी कह चुके हैं कि मैनपुरी और रामपुर में हो रहे उपचुनाव में अगर सपा की जीत होती है तो 2024 में प्रदेश से सरकार भी चली जाएगी।