बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश सरकार की दस हजारी गारंटी ने राजग को प्रचंड जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई। बिहार सरकार की मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत एक करोड़ से अधिक महिलाओं को उनके खाते में दस हजार रुपये की राशि दी गई।

यह घोषणा प्रदेश में बाकी सभी मुद्दों पर भारी पड़ गई और विपक्ष इसकी काट नहीं कर सका। इस राशि को लेकर चुनाव प्रचार के दौरान विपक्ष ने जुबानी हमला तक बोला। दावा किया कि सरकार बनने के बाद यह राशि सरकार को लौटानी पड़ेगी।

इसके जवाब में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हर चुनावी सभा में दावा किया कि विपक्ष झूठा भ्रम फैला रहा है। यह राशि लौटाने की जरूरत नहीं है। महिलाओं ने मुख्यमंत्री के बयान पर विश्वास कर राजग को पूरा समर्थन दिया, जिसके बल पर राजग साल 2010 के बाद सबसे बड़ी जीत हासिल करने में कामयाब रही।

इस मुद्दे की बदौलत राजग कैमूर, अरवल, रोहतास, बक्सर और औरंगाबाद जिले में भी खाता खोलने में कामयाब रही, जबकि साल 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में इन जिलों में महागठबंधन के विधायक थे।

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इससे पहले भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आशा कर्मियों और जीविका दीदियों (स्व-सहायता समूहों की महिलाएं) का मानदेय बढ़ाकर, मुफ्त बिजली (प्रत्येक घर को 125 यूनिट) और पेंशन राशि बढ़ाकर आर्थिक सहायता दी। साथ ही पहले से चल रही शराबबंदी, पुलिस भर्ती में 35 फीसद आरक्षण और स्वशासी निकायों में महिलाओं के लिए 50 फीसद आरक्षण का लाभ भी राजग को मिला। इन सभी योजनाओं का असर चुनाव में दिखा।

दिल्ली विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के सहायक प्रध्यापक संतोष झा का कहना है कि महिलाओं का 8.8 फीसद बढ़ा हुआ मतदान और उनकी ओर केंद्रित कल्याण योजनाओं ने चुनावी समीकरण ही बदल दिए। एक रपट के मुताबिक बिहार में करीब 3.5 करोड़ मतदाता महिलाएं हैं और उनकी मतदान सहभागिता कई चुनावों से लगातार बढ़ रही है। राजग ने महिलाओं को सिर्फ जाति-आधारित वोट बैंक के रूप में नहीं देखा, बल्कि महिला पहचान को एक नए और मजबूत वोट बैंक के रूप में उभारा है।

कई राज्यों में देखने को मिला है ‘महिला फैक्टर’

बिहार से पहले ऐसा मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड में भी देखने को मिल चुका है। बीते चुनाव से पहले महाराष्ट्र में ‘माझी मुलगी बहन योजना’ (मेरी बहन योजना), मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री ‘लाड़ली बहना योजना’ और झारखंड में ‘मंईयां सम्मान योजना’ के तहत दी गई आर्थिक मदद का असर चुनाव परिणाम में देखने को मिला था।

इन योजनाओं के सहारे सत्ताधारी पार्टी प्रदेश में न केवल सरकार विरोधी लहर को बेअसर करने में कामयाब रही, बल्कि जीत का अंतर भी बढ़ाया। वहीं दिल्ली में योजना की घोषणा के बाद भी योजना को लागू न कर पाना सरकार के लिए नुकसानदायक साबित हुआ।

चुनाव से करीब एक साल पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने महिला समृद्धि योजना की घोषणा कर महिलाओं को एक हजार रुपए देने की घोषणा की, लेकिन चुनाव की घोषणा होने तक महिलाओं को लाभ नहीं मिला, जबकि चुनाव से ठीक पहले भाजपा नेता व मौजूदा मंत्री प्रवेश वर्मा ने एक एनजीओ के माध्यम से महिलाओं को 1100-1100 रुपये बांट दिए थे, जिसका फायदा भाजपा को दिल्ली चुनाव में मिला। हालांकि साल 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में आप सरकार के तरफ से 200 यूनिट मुफ्त बिजली, बसों में महिलाओं के मुफ्त सफर का असर दिखा था, उस समय आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में बड़ी जीत दर्ज की थी।

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