उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सियासी पारा चढ़ने के बीच मंगलवार को एक नया राजनीतिक महासंघ वजूद में आ गया। विभिन्न जातियों में लघु जनाधार रखने वाले छोटे-छोटे दलों के परस्पर सहयोग के बूते सत्ताशीर्ष पर पहुंचने का मंसूबा लिए इस गठबंधन ने किसी मुसलमान को सूबे का अगला मुख्यमंत्री बनाने का एलान किया है। लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में 16 पार्टियों को एकजुट कर ‘राजनीतिक परिवर्तन महासंघ’ का गठन किया गया है और गत लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ सीट से सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के खिलाफ मैदान में उतरने वाले राष्ट्रीय ओलमा काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना आमिर रशादी को इसका संयोजक बनाया गया है।
रशादी ने पार्टी का घोषणापत्र जारी करते हुए बताया कि आजादी के बाद से आज तक कांग्रेस, भाजपा, सपा और बसपा ने जनता- खासकर मुसलमानों का सिर्फ शोषण ही किया है। केंद्र की पूर्व कांग्रेसनीत सरकार से ऊबकर जनता ने ‘अच्छे दिन’ की तलाश में सत्ता परिवर्तन किया। लेकिन उसके बुरे दिन जारी रहे। उन्होंने कहा कि अगले साल के शुरू में उत्तर प्रदेश की जनता एक ऐसा विकल्प ढूंढ़ रही है, जो उसे सोनिया, मोदी, माया और मुलायम से निजात दिलाए। इसीलिए राजनीतिक परिवर्तन महासंघ गठित किया गया है। महासंघ के प्रवक्ता गोपाल राय ने इस मौके पर कहा कि नवगठित संगठन का मुख्यमंत्री किसी मुसलमान को ही बनाया जाएगा। यह फैसला इसलिए लिया गया है। क्योंकि इस कौम को शीर्ष पद से अब तक वंचित रखा गया है। महासंघ के सभी घटक इस पर एकमत हैं।
राय ने कहा कि महासंघ में शामिल दल एकल रूप में कोई मजबूत ताकत नहीं हैं। वे अपने-अपने प्रभाव क्षेत्रों में चार, छह, दस या पंद्रह हजार मत हासिल करने की ताकत रखते हैं। लेकिन एकजुट होकर वे महाशक्ति बन जाएंगे। इस महासंघ का गठन इसी नीयत से किया गया है। उन्होंने बताया कि राजनीतिक परिवर्तन महासंघ में राष्ट्रीय ओलमा काउंसिल, राष्ट्रीय क्रांतिकारी समाजवादी पार्टी, इंसाफ राज पार्टी, स्वराष्ट्र जन पार्टी, सवर्ण समाज पार्टी, राष्ट्रीय आंबेडकर दल, ब्रह्मास्त्र, भारतीय प्रजातंत्र निर्माण पार्टी, नया दौर पार्टी, देशभक्ति निर्माण पार्टी, इंसाफ वादी महाज, वतन जनता पार्टी, भारतीय किसान परिवर्तन पार्टी, पिछड़ा जन समाज पार्टी, वंचित समाज इंसाफ पार्टी, युवा जन क्रांति पार्टी शामिल हैं।
इनमें से कई दल पूर्व में चुनाव लड़ चुके हैं। पार्टी के घोषणापत्र में उत्तर प्रदेश को चार हिस्सों, पूर्वांचल, पश्चिमांचल, मध्यांचल और बुंदेलखंड में बांटकर उनका विकास करने, सवर्ण समाज के गरीबों के लिए सरकारी सेवाओं में बारह फीसद आरक्षण देने, महिला आयोग, युवा आयोग, सवर्ण आयोग और बुनकर आयोग का गठन करने, बजट के 51 प्रतिशत से अधिक हिस्सा ग्रामीण इलाकों के विकास पर खर्च करने आदि के वादे शामिल हैं।