सालों पुराने दोस्त अगर दुश्मन बन जाएं तो इसमें एक खास नजाकत देखी जाती है। दोनों एक दूसरे को नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ते। महाराष्ट्र के मामले में ये बात सच ही है। शिवसेना बीजेपी से अलग क्या हुई दोनों एक दूसरे को फूटी आंख देखने को भी तैयार नहीं हैं। अदावत इतनी ज्यादा है कि अनिल देशमुख, नवाब मलिक जैसे मंत्री जेल में बैठे हैं। शिवसेना ने भी राणे पिता पुत्र को नुकसान पहुंचाने का कोई मौका नहीं छोड़ा। फिलहाल पेंच फंसा है स्पीकर के चुनाव को लेकर।

उद्धव सरकार 3 मार्च को स्पीकर व डिप्टी स्पीकर के चुनाव कराना चाहती है लेकिन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने अनुमति देने से इन्कार कर दिया है। दरअसल, बीजेपी और शिवसेना के बीच चुनाव को लेकर गढ़े गए नए नियमों को लेकर सिर फुटौव्वल मची है। 23 दिसंबर 2021 को असेंबली के प्रधान सचिव ने जो नोटिफिकेशन जारी किया है उसके मुताबिक चुनाव अब सीक्रेट बैलट के बजाए ओपन वोटिंग सिस्टम से होगा। अब गवर्नर के पास चुनाव की घोषणा करने का अधिकार नहीं है। उसे सीएम की सलाह मिलने के बाद ही ऐसा करने का अधिकार होगा।

महाविकास अघाड़ी की सरकार बनने पर स्पीकर की पोस्ट कांग्रेस के खाते में गई थी। लेकिन बीते साल फरवरी में नाना पटोले ने जब इस्तीफा दे दिया तो ये पद खाली हो गया। पटोले महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रमुख बन गए थे। फिलहाल डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल ही स्पीकर का कामकाज देख रहे हैं। शीत कालीन सत्र में स्पीकर चुनाव को लेकर नियम संशोधित किए गए थे। उद्धव ठाकरे की सरकार ने 28 दिसंबर की तारीख स्पीकर के चुनाव के लिए तय की थी। हालांकि बीजेपी ने चुनाव का यह कहकर विरोध किय़ा कि उसके 12 सस्पेंड विधायकों को 1 साल के लिए सस्पेंड किया गया है। ये मसला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। अदालत ने उनके निलंबन को रद्द भी किया है।

बीजेपी के विधायक गिरीश महाजन ने स्पीकर चुनाव के लिए संशोधित किए नियमों को ये कहकर बांबे हाईकोर्ट में चुनौती दी कि इसके जरिए सीएम को ये अधिकार मिल गया है कि वो चुनाव को लेकर गवर्नर को सलाह दे सकता है। उन्होंने इसे गलत बताया। चुनाव की तारीख तय करने का अधिकार सीएम को मिलने पर भी उन्होंने सवाल उठाए। उनका कहना था कि ये फैसला पहले गवर्नर को ही करना होता था। चुनाव कराने के तरीके को भी उन्होंने असंवैधानिक बताया। बीजेपी के ही जनक व्यास ने इसी मसले पर 1 और PIL दाखिल की थी।

उद्धव सरकार ने याचिका को राजनीति से प्रेरित बताया है। हालांकि हाईकोर्ट ने याचिकाओं को खारिज करते हुए दोनों नेताओं की तरफ से जमा कराई गई सिक्योरिटी जब्त कर ली थी। बीजेपी नेताओं ने 13 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करके हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। उधर, कोश्यारी ने भी 15 मार्च को अपने फैसले में सरकार की चुनाव कराने की अपील को ये कहकर खारिज कर दिया कि मामला कोर्ट में है।