राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता एकनाथ खड़से ने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा शिवसेना के नाम और चुनाव चिन्ह को फ्रीज करना ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है। शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे के पार्टी बनाने के प्रयासों को याद करते हुए एकनाथ खड़से ने कहा कि पिता ने बहुत कठिनाइयों के साथ जो कमाया था, वह बेटे ने राजनीतिक लड़ाई में मिनटों में खो दिया। एकनाथ खड़से ने कहा कि बाल ठाकरे के अथक परिश्रम के कारण “धनुष और तीर” का चिन्ह प्रसिद्ध हुआ था।
ठाणे जिले के डोंबिवली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एकनाथ खड़से ने कहा, “वह (उद्धव) इस प्रतीक (तीर और धनुष) के साथ सत्ता में आए थे, लेकिन दोनों (उद्धव और शिवसेना के बागी एकनाथ शिंदे) के बीच लड़ाई में अब सब कुछ खो गया है, जिसके परिणामस्वरूप चुनाव चिन्ह फ्रीज हो गया है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।”
एकनाथ खड़से ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में वर्तमान राजनीतिक स्थिति अत्यधिक अस्थिर है। उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे त्रिपक्षीय महा विकास अघाड़ी के मुख्य शिल्पकार एनसीपी प्रमुख शरद पवार की वजह से ही मुख्यमंत्री बने थे।
चुनाव आयोग ने शनिवार को एक अंतरिम आदेश पारित किया था, जिसमें उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना के दोनों गुटों को अंधेरी ईस्ट विधानसभा उपचुनाव में पार्टी के नाम और प्रतीक का उपयोग करने से रोक लगा दिया था। इसके साथ ही दोनों समूहों को 10 अक्टूबर को दोपहर 1 बजे तक, अपने समूहों के लिए नामों और प्रतीकों के विकल्प प्रस्तुत करने का निर्देश दिया, ताकि उन्हें ये आवंटित किया जा सके।
जून में पार्टी में टूट के बाद चुनाव चिन्ह और शिवसेना पर दावे को लेकर उद्धव ठाकरे और शिंदे गुट चुनाव आयोग के पास पहुंचे थे। चुनाव आयोग ने दोनों गुटों को अपने दावों के समर्थन में दस्तावेज प्रमाण प्रस्तुत करने के लिए 8 अगस्त तक का समय दिया था। बाद में ठाकरे गुट ने समय बढ़ाने का अनुरोध किया था। इसके बाद चुनाव आयोग ने 8 अक्टूबर तक समय सीमा को बढ़ा दिया था।
बता दें कि दशहरा के मौके पर उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे दोनों नेताओं ने मुंबई में एक बड़ी रैली की थी और दोनों ने दावा किया था कि असली शिवसेना उनकी है। उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे पर जमकर निशाना साधा था तो वहीं एकनाथ शिंदे ने उद्धव पर हिन्दुत्व विचारधारा से भटकने का आरोप लगाया था।