महाराष्ट्र की ठाणे पुलिस ने मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह और अन्य के खिलाफ बुधवार को जबरन वसूली के मामले में लुकआउट नोटिस जारी करने की प्रक्रिया शुरू की है। इससे उनकी मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। उन पर धन उगाही का रैकेट चलाने समेत कई दूसरे आरोप भी हैं। वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सिंह को पिछले अप्रैल में मुंबई पुलिस चीफ के पद से हटा दिया गया था।
उधर, बुधवार को ही वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी परमबीर सिंह ने बंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर महाराष्ट्र सरकार द्वारा गठित एक सदस्यीय आयोग द्वारा उन्हें तलब किए जाने के आदेश को चुनौती दी है। प्रदेश सरकार ने राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए यह आयोग गठित किया है। आयोग ने मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त को बयान दर्ज करवाने के लिये अपने समक्ष पेश होने का निर्देश दिया है।
Process initiated to issue a lookout notice against former Mumbai CP Parambir Singh (in file photo) in connection with an extortion case against him and others: Thane Police pic.twitter.com/dsvwEsynpv
— ANI (@ANI) August 4, 2021
सिंह ने अपनी याचिका में आयोग की जांच की वैधानिकता को भी चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है कि आयोग को सौंपी गई जांच का दायरा उच्च न्यायालय और शीर्ष अदालत पहले ही तय कर चुकी है। याचिका में सिंह ने उच्च न्यायालय से यह घोषणा करने का अनुरोध किया है कि जांच आयोग को सौंपी गयी जांच का दायरा न्यायसंगत है और इसलिए आयोग द्वारा जांच के लिये कुछ शेष नहीं बचा है।
उन्होंने याचिका में आयोग के समक्ष कार्यवाही पर रोक लगाने और छह अगस्त को पेश होने के लिये उन्हें जारी समन के अमल पर रोक लगाकर उन्हें अंतरिम राहत प्रदान करने की मांग की है। महाराष्ट्र सरकार ने इस साल 30 मार्च को पूर्व न्यायमूर्ति के यू चांदीवाला की अध्यक्षता में एक सदस्यीय उच्च स्तरीय जांच आयोग गठित किया था जिसे राज्य के पूर्व गृह मंत्री और राकांपा नेता अनिल देशमुख के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार और कदाचार के आरोपों की जांच करनी है।
सिंह ने अपनी याचिका में कहा कि आयोग की इस बात की जांच कर अपना नतीजा सौंपना है कि क्या देशमुख ने कोई अपराध किया है जैसा कि सिंह ने 20 मार्च 2021 को मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में आरोप लगाया है।