आईपीएस अधिकारी तेजस्वी सतपुते (2012 बैच) को अक्टूबर 2020 में सोलापुर (ग्रामीण) में पुलिस अधीक्षक के रूप में तैनात किया गया था। सात साल पहले एक युवा आईपीएस के रूप में उन्होंने इस क्षेत्र में दो सप्ताह से अधिक समय बिताया था। इसी दौरान उन्होंने अवैध शराब के निर्माण वाले स्थानों की पहचान की थी। जब तक तेजस्वी सतपुते की तैनाती एसपी सोलापुर के रूप में हुई तब तक इस क्षेत्र ने राज्य के करीब नौ जिलों में शराब के प्राथमिक आपूर्तिकर्ता के रूप में प्रतिष्ठा हासिल कर ली थी।

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तेजस्वी ने अपनी पोस्टिंग के पहले कुछ महीनों में ही यह पता लगा लिया था कि यह अवैध कारोबार किस हद तक फैला था। सितंबर 2021 में तेजस्वी सतपुते ने ‘ऑपरेशन परिवर्तन’ शुरू किया, जो एक चार-सूत्रीय कार्य योजना थी। इसमें नरम पुलिसिंग (soft policing) विधियों जैसे परामर्श को एक योजना के साथ जोड़ा गया। पुलिस जिले में हाथ भट्टियों या हाथ से चलने वाली अवैध शराब की भट्टियों पर नकेल कसने के लिए तैयार हो गई।

एक साल बाद सोलापुर (ग्रामीण) में लगभग 80 प्रतिशत हाथ-भट्टियां बंद हो गईं और व्यापार में शामिल 650 से अधिक परिवारों का पुनर्वास किया गया। 2 सितंबर को सतपुते को ऑपरेशन परिवर्तन के लिए FICCI (फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री) स्मार्ट पुलिसिंग स्पेशल जूरी अवार्ड से सम्मानित किया गया।

तेजस्वी सतपुते पहले एसपी सतारा और पुणे डीसीपी (ट्रैफिक) रह चुकीं हैं। उन्होंने बताया कि सोलापुर में पदभार संभालने के बाद उन्होंने 200 हूच ब्लैक स्पॉट (70 जहां हूच का निर्माण किया था और 120 से अधिक स्पॉट जहां इसे बेचा गया था) पर ध्यान दिया। उन्होंने महसूस किया कि 70 स्पॉट पुलिस टीमों के लिए नो-गो एरिया में बदल गए थे, जिन पर अक्सर स्थानीय ग्रामीणों द्वारा हमला किया जाता था, जो हूच (अवैध शराब) के निर्माण में शामिल थे। इनमें ज्यादातर बंजारा समुदाय के सदस्य थे।

तेजस्वी सतपुते ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए बताया, “छापेमारी करने के लिए कम से कम 150-200 अधिकारियों की एक टीम लगी। इसलिए ये छापे हर कुछ महीनों में एक बार किए जाते थे। 90 दिनों तक निर्माता प्रभावित नहीं हुए और वे अपना व्यवसाय चलाते रहे।”

तेजस्वी जानती थीं कि बार-बार छापेमारी ही इसका जवाब है, लेकिन ये वैज्ञानिक तरीके से किए जाने थे। उन्होंने कहा, “अवैध शराब के उत्पादन चक्र को प्रभावित करने के लिए हर तीन दिनों में छापेमारी होनी चाहिए थी। मुझे पता था कि ग्रामीणों के विरोध के बावजूद ऐसा करना मुश्किल होगा। लेकिन मैंने अपने स्टाफ से कहा कि हमें इसे अगले कुछ महीनों तक ही करना होगा। उन्हें बातचीत की मेज पर लाने के लिए यह पर्याप्त होगा।”

इस तरह छापेमारी पिछले साल सितंबर में शुरू हुई। सतपुते ने महसूस किया कि सोलापुर में कई परिवार शराब के व्यवसाय पर निर्भर हैं और जब तक उनके पास कोई अन्य विकल्प नहीं होगा, वे अपनी आय के स्रोत को नहीं जाने देंगे। सतपुते के अनुसार औसतन ग्रामीणों ने प्रति दिन कम से कम 5,000 रुपये प्रति भट्टी बनाए, जिनमें से अधिकांश लोगों के पास कम से कम दो से तीन भट्टियां थीं।

शुरुआत में तेजस्वी सतपुते और उनकी टीमों द्वारा आयोजित परामर्श सत्रों में ज्यादातर महिलाएं, वरिष्ठ नागरिक और बच्चे उपस्थित होते थे और पुरुष दूर रहते थे। तेजस्वी ने बताया, “महिलाओं ने हमें बताया कि चूंकि वे बंजारा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, जिन्हें अंग्रेजों ने ‘आपराधिक जनजाति’ के रूप में अधिसूचित किया था और उन्हें कलंकित किया, जिससे उनके पुरुषों और युवाओं को नौकरी मिलना मुश्किल हो गया। उन्होंने कहा कि उनके पूर्वज हाथ भट्टी में शामिल थे और वे कोई अन्य व्यापार नहीं जानते थे। मैंने उन्हें बताया कि बंजारा समुदाय की एक समृद्ध विरासत है और उनके पूर्वज अंग्रेज़ों द्वारा अधिसूचित किए जाने से पहले व्यवसायी थे।”

तेजस्वी सतपुते ने आगे बताया, “चूंकि अधिकांश परिवारों के पास वैध कागजी कार्रवाई या बुनियादी पहचान पत्र नहीं थे, इसलिए पुलिस के लोग बैंक ऋण के लिए गारंटर बने। जिन परिवारों के पास जमीन थी, वे इसका इस्तेमाल हूच बनाने के लिए करते थे क्योंकि यह लाभदायक था। अब जबकि व्यवसाय लाभदायक नहीं था, कुछ लोग खेती में वापस चले गए। जिनके पास कारों की मरम्मत या मिठाई बनाने जैसे कौशल थे, उनके लिए हमने छोटे ऋण लेने में उनकी मदद की।”

तेजस्वी सतपुते ने बताया कि उन्हें न केवल उनके वरिष्ठ अधिकारियों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली, बल्कि स्थानीय ग्रामीणों से भी। इसके साथ ही उन सभी जिलों को जो शराब की समस्या का सामना करते हैं, उन्हें सोलापुर मॉडल का पालन करने के लिए कहा गया है।

तेजस्वी ने एक कहानी बताई कि कैसे सोलापुर में एक परिवार में शादी करने वाली एक महिला को अपने ससुराल वालों के बारे में पता नहीं था। इस बात को लेकर वह अक्सर उनसे झगड़ती थी।पुलिस की कार्रवाई का सामना करने के बाद जब उन्हें अंततः शराब बनाना छोड़ना पड़ा, तो यह युवती हमें धन्यवाद देने आई। मेरे लिए यह वास्तव में संतोषजनक था।