महाराष्ट्र की राजनीति में फिर से उलटफेर होने के आसार हैं। शिवसेना के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे अपने समर्थक विधायकों के साथ महाराष्ट्र से बाहर निकल गए हैं, जिसके कारण उद्धव सरकार के गिरने का खतरा मंडराने लगा है। हालांकि एनसीपी के मुखिया शरद पवार फिर से सरकार बचाने की कोशिशों में जुट गए हैं।

क्या कहता है कानून- दल-बदल विरोधी कानून कहता है कि अगर किसी पार्टी की संख्याबल का दो-तिहाई हिस्सा “विलय” के लिए सहमत होता है, तो उन्हें अयोग्यता की कार्यवाही का सामना नहीं करना पड़ेगा। वर्तमान में, शिवसेना के पास 55 विधायक हैं। यदि बागी भाजपा में विलय करना चाहते हैं, तो 37 विधायकों को शिवसेना छोड़ना पड़ेगा।

क्या है समीकरण- मिला जानकारी के अनुसार एकनाथ शिंदे 12 विधायकों को अपने साथ ले गए हैं, लेकिन एंटी डिफेक्शन लॉ यानि दल-बदल विरोधी कानून से बचने के लिए शिंदे को 37 विधायकों का समर्थन चाहिए, जो फिलहाल मुश्किल दिख रहा है। हालांकि सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शिंदे समर्थक विधायकों की संख्या 20 के आसपास हो सकती है।

क्या कर सकती है बीजेपी- बीजेपी सत्तरूढ़ एमवीए गठबंधन में अशांति का फायदा उठाने की पूरी कोशिश कर सकती है, इसके लिए वो विधानसभा में फ्लोर टेस्ट की मांग उठा सकती है। भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा- “हम खुले तौर पर कह रहे हैं कि एमवीए के भीतर भारी अशांति है। विधान परिषद चुनावों के बाद, संख्याएं दिखाती हैं कि कैसे शिवसेना और कांग्रेस ने अपने ही सदस्यों, छोटे सहयोगियों और निर्दलीय उम्मीदवारों का विश्वास खो दिया है।” हालांकि बीजेपी ने अभीतक अपनी रणनीति को गुप्त ही रखा है, लेकिन पार्टी के एक अंदरूनी सूत्र ने कहा- ” अभी देखो। एमवीए को फ्लोर टेस्ट में बहुमत साबित करने में मुश्किल होगी।”

क्यों नाराज हैं शिंदे- शिंदे पार्टी में दरकिनार किए जाने से नाराज बताए जाते हैं। कहा जा रहा है कि जब महत्वपूर्ण नीतियां और रणनीतियां बनाई जाती हैं तो उन्हें विश्वास में नहीं लिया जाता है। पार्टी ने हाल ही में ठाणे नगर निगम चुनावों में अकेले जाने के उनके सुझाव को खारिज कर दिया था और उन्हें बताया गया था कि पार्टी को कांग्रेस और राकांपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ना होगा।

किसके पास कितना नंबर- विधान परिषद चुनाव में सोमवार को सदन के 285 सदस्यों ने मतदान किया। विधानसभा में 288 विधायक हैं, लेकिन शिवसेना विधायक रमेश लटके का पिछले महीने निधन हो गया, राकांपा सदस्य नवाब मलिक और अनिल देशमुख मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जेल में बंद हैं। शिवसेना के पास 55, एनसीपी के पास 53 और कांग्रेस के पास 44 विधायक हैं। भाजपा के पास 106 विधायक हैं। छोटे दलों और निर्दलीय विधायकों की ताकत 29 है।