महाराष्ट्र में शिवसेना के नेता संजय राउत बुधवार (30 मई) को राज्य में सहयोगी भाजपा पर जमकर बरसे। उन्होंने मुंबई की पालघर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा कार्यकर्ताओं पर धांधली करने का आरोप लगाया। संजय राउत ने चुनाव आयोग पर भी निष्पक्ष न रहने के आरोप जड़े और उसे एक राजनीतिक दल की ‘तवायफ’ तक बता दिया। राउत बीते 28 मई को मुंबई की पालघर लोकसभा सीट पर हुई वोटिंग के बारे में बोल रहे थे। शिवसेना नेता संजय राउत ने समाचार एजेंसी एएनआई को दिए अपने बयान में कहा,”हमारे कार्यकर्ताओं ने भाजपा कार्यकर्ताओं को पालघर उपचुनाव के दौरान पैसे बांटते हुए रंगेहाथों पकड़ा था। लेकिन चुनाव आयोग ने इस पर कोई एक्शन नहीं लिया। चुनाव आयोग का यही निष्क्रिय रवैया पूरे भारत में देखने को मिल रहा है। इसका मतलब है कि चुनाव आयोग एक राजनीतिक दल की ‘तवायफ’ की तरह काम कर रहा है।”

भाजपा ने झोंकी थी ताकत: बता दें कि बीते 28 मई को मुंबई की पालघर लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुए थे। ये सीट भाजपा सांसद चिंतामणि वनगा के निधन के बाद खाली हुई थी। इस उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना आमने-सामने हैं। पालघर लोकसभा क्षेत्र में उत्तर भारतीयों की बड़ी तादाद को देखते हुए भाजपा ने उत्तर भारतीय नेताओं की पूरी फौज उतार दी थी। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा, कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी पूर्वी उत्तर प्रदेश के चार विधायकों के साथ प्रचार कर रहीं थीं। जबकि भोजपुरी गायक और सांसद मनोज तिवारी ने भी यहां रोड शो किया था।

चुनाव नहीं, सवाल वर्चस्व का : पालघर उपचुनाव को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने वर्चस्व का सवाल बना लिया है। मुकाबले में शिवसेना के ताल ठोंकने के ऐलान के बाद भाजपा ने अपनी रणनीति बदल दी थी। भाजपा ने यहां से राजेंद्र गावित को उम्मीदवार बनाया और आदिवासियों के लोकप्रिय नेता विवेक पंडित से हाथ मिला लिया। जबकि शिवसेना ने दिवंगत भाजपा सांसद चिंतामणि वनगा के बेटे श्रीकांत वनगा को अपना प्रत्याशी बनाया है। शिवसेना के इस कदम की योगी आदित्यनाथ ने शिवाजी महाराज पर अफ़ज़ल खान द्वारा पीठ पर छुरा मारने से तुलना की थी।

ये है मतदाताओं का पूरा गणित: पालघर लोकसभा में कुल 17 लाख 24 हजार मतदाता हैं। कुल 6 विधानसभाओं में से अकेले नाला सोपारा में 4 लाख से ज्यादा वोटर हैं। नालासोपारा उत्तर भारतीय बहुल इलाका है। इसी तरह वसई, विरार, बोइसर और पालघर में भी उत्तर भारतीय आबादी रहती है। कुल मतदाताओं में आदिवासी 30 फीसदी हैं जबकि उत्तर भारतीय 21 फीसदी हैं। पालघर की 6 विधानसभाओं में से 3 पर बहुजन विकास पार्टी का कब्जा है। बताते हैं कि इलाके में उत्तर भारतीयों को बसाने में इनकी अहम भूमिका है और स्थानीय निकाय पर भी इसी पार्टी का कब्जा है।