समाज में यह प्रचलित धारणा है कि एक सेक्स वर्कर की बेटी अमूमन सेक्स वर्कर ही हो सकती है लेकिन देश के दूसरे सबसे बड़े रेड लाइट एरिया मुंबई के कमाठीपुरा में जन्मी और पली-बढ़ी 23 साल की शीतल जैन आज समाज के लिए मिसाल कायम कर रही है। शीतल ने न केवल अपनी पुरानी कड़वी यादों को भुला दिया है बल्कि अपने सपने को सच में बदलने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रही है। वो ड्रम बजाने में महारत हासिल करना चाहती है। एक एनजीओ की मदद से वह ड्रम बजाने की ट्रेनिंग लेने के लिए अमेरिका भी जा चुकी है। वहां उसने लिवाइन स्कूल ऑफ म्यूजिक में ड्रम बजाने की ट्रेनिंग ली है। वह एक एनजीओ में बच्चों को भी पढ़ाती है।

मुंबई के कमाठीपुरा से लेकर अमेरिका की यात्रा और अपने सपनों को पंख देने की कहानी केनफेलोज.कॉम से बयां करते हुए शीतल जैन कहती है कि उसकी नानी जब गर्भवती थी तभी उसके नाना ने उसे तस्करी कर कमाठीपुरा लाया था। उसने एक बेटी मधु (शीतल की मां) को जन्म दिया। मधु को कभी भी पढ़ने नहीं दिया गया। जब वो 13 साल की थी तभी एक शख्स ने प्यार के जाल में फांसकर उससे शादी कर ली और जब मधु 14 साल की थी तभी शीतल का प्री-मैच्योर बेबी के रूप में जन्म हुआ। इसके कुछ दिनों बाद ही मधु ने जीवनयापन के लिए बार डांसर की नौकरी कर ली जहां उसने दूसरी बार शादी की। कुछ ही दिनों में मधु ने एक बेटे (आदित्य) को जन्म दिया। शीतल कहती है कि वो अपने सौतेले पिता को बहुत प्यार करती थी और अपने मूल पिता को जानती तक नहीं थी।

शीतल जब बच्ची थी तब उसके माता-पिता ने गोवा के एक हॉस्टल में डाल दिया था। जब छुट्टियां होतीं तभी उसके सौतेले पिता उसे घर लाते लेकिन इस दौरान सात साल की उम्र तक शीतल के सौतेले पिता ने कई बार उसका यौन शोषण किया। शीतल याद करती है कि कई बार जब वह सुबह जगती थी तो खुद को नंगा पाती थी। शीतल बताती है कि एक रात जब वह सो रही थी तब उसके सौतेले पिता का हाथ उसके प्राइवेट पार्ट पर था। इस बारे में वो कहती है कि उसने सोचा कि पापा हैं, प्यार कर रहे होंगे लेकिन उसे बहुत दर्द हो रहा था। उसने तब महसूस किया था कि कुछ गलत हो रहा है, उसके बाद से उसने पिता से दूरी बनानी शुरू कर दी। शीतल अब खुले मंच से यह बात कहती है कि वो एक बार डांसर और सेक्स वर्कर की बेटी है।

शीतल को मां-बाप ने चौथी क्लास में ही स्कूल छुड़वा दिया। उसकी मां मधु ने भी नौकरी छोड़ दी थी और नशे में धुत्त रहने लगी थी। जब शीतल 12 साल की हुई तब उसके सौतेले पिता ने उसके परिवार को छोड़ दिया और किसी दूसरी महिला से शादी कर ली। एक दिन शीतल की मां ने उसे घर से बाहर निकाल दिया, तब पड़ोसियों ने सहारा दिया था। लेकिन पड़ोसी उसे रोज मारते-पीटते थे और घर का सारा काम करवाते थे। इस पीड़ा को सहते-सहते शीतल क्रांति नाम के एक एनजीओ के लोगों से टकरा गई। यह संस्था सेक्स वर्कर के बच्चों के लिए काम करती थी। शीतल कहती है कि जब छोटी थी तब देखती थी कि गणपति विसर्जन के दौरान लोग ड्रम बजाते हैं। तब उसे बहुत मजा आता था। ड्रम बजाने की कला से शीतल बहुत प्रभावित हुई। एनजीओ की मदद से शीतल ने ड्रम क्लास ज्वाइन कर ली और इसे ही करियर बना लिया।

कुछ दिनों के बाद उसके सपनों को तब पंख लगा जब उसके इस जुनून को सच करने के लिए साल भर का कोर्स करने के लिए स्कॉलरशिप मिल गई। शीतल अमेरिका जाकर ड्रम बजाने की ट्रेनिंग लेकर आई। उसके बाद वो ताल इंक कंपनी में काम करने लगी। वह ब्रिटेन में भी कई शो परफॉर्म कर चुकी है। शीतल रेड लाइट एरिया के बच्चों के लिए कुछ करना चाहती है, इसीलिए वो अपने कुछ दोस्तों के साथ बच्चों के लिए वर्कशॉप आयोजित करती हैं। फिलहाल शीतल बंगलुरु की एक एनजीओ ‘मेक ए डिफरेंस’ में काम करती है। उसने अपने भाई को बेहतर शिक्षा के लिए कोल्हापुर भेजा है और अपनी मां का रिहैब सेंटर में इलाज करवा रही है।