प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मंगलवार को मुंबई में बड़ी कारवाई की। श्री साईबाबा गृहिणीरमिति प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित रियल एस्टेट परियोजना में पुष्पक बुलियन के 11 आवासीय फ्लैटों को ईडी ने अस्थायी रूप से सीज किया है। श्रीधर माधव पाटनकर साईबाबा गृहिणीरमिति प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी के प्रोमोटर हैं। ईडी की कार्यवाही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के ऊपर मानी जा रही है क्योंकि पाटनकर उद्धव ठाकरे की पत्नि रश्मि ठाकरे के भाई हैं।

ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में पुष्पक बुलियन के खिलाफ कार्यवाही की है। बुलियन के खिलाफ़ आरोप है कि कम्पनी ने नोटबंदी के वक्त (नवंबर और दिसंबर 2016 के बीच) 258 किलोग्राम सोने के मुकाबले 84.5 करोड़ रुपये के पुराने 500 और 1000 रुपए के नोट स्वीकार किए थे। ईडी का दावा है कि पुष्पक बुलियन ने श्री साईबाबा गृहिणीरमिति को आय से 30 करोड़ रुपये अधिक असुरक्षित ऋण के रूप में दिए।

ईडी ने अपने बयान में कहा कि अटैच की गई संपत्ति में ठाणे में नीलांबरी नामक एक रियल एस्टेट परियोजना में 11 आवासीय फ्लैट शामिल हैं, जिसे श्री साईबाबा गृहिणीरमिति द्वारा प्रवर्तित किया गया है। फ्लैटों की कीमत करीब 45 करोड़ रुपये बताई जा रही है। नंदकिशोर चतुर्वेदी के साथ मिलकर महेश पटेल ने पुष्पक समूह की कंपनी मेसर्स पुष्पक रियल्टी के लेन देन में धोखाधड़ी की है। नंदकिशोर कई शेल कंपनियां चलाता है।

महाराष्ट्र के पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने इस मामले पर कहा कि,“मैं विधानसभा के अंदर था। मुझे ज्यादा जानकारी नहीं है। मैं जानकारी एकत्र करूंगा और फिर कोई टिप्पणी करुंगा।” वहीं महाराष्ट्र सरकार में मंत्री एकनाथ शिंदे ने ईडी की कार्यवाही पर कहा कि, “ये हमारे खिलाफ प्रतिशोध की कार्रवाई हैं। केंद्रीय जांच एजेंसियों का ऐसा प्रयोग लोकतंत्र के लिए हानिकारक है। बीजेपी महाविकास अघाड़ी सरकार के काम में बाधा डालने और सरकार को अस्थिर करने के लिए काम कर रही है। शिवसेना ऐसी कार्रवाई से डरती नहीं है। सरकार अपना काम जारी रखेगी।”

ईडी ने मार्च 2017 में पुष्पक बुलियन के खिलाफ मामला दर्ज किया था। एजेंसी ने कहा कि उसने पाया कि नवंबर 2016 में नोटबंदी के बाद दो ज्वैलरी फर्म पीहू गोल्ड और सतनाम ज्वैलर्स के बैंक खातों में 84.5 करोड़ रुपये के पुराने नोट जमा किए गए थे। उसके बाद 258 किलो सोना खरीदने के लिए पुष्पक बुलियन को पैसे ट्रांसफर कर दिए गए। ईडी ने दावा किया कि पुष्पक समूह ने स्वीकार किया कि दोनों कम्पनियों को विमुद्रीकृत मुद्राओं को स्थानांतरित करने के लिए बनाई गई थीं और ये नकली कंपनियां थीं।