Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की राजनीति में शिवसेना बनाम शिवसेना की लड़ाई पिछले कई दिनों से जारी है। इस लड़ाई में उद्धव ठाकरे की सीएम की कुर्सी जा चुकी है और एकनाथ शिंदे सीएम बन चुके हैं। इसी बीच शिंदे गुट ने उद्धव पर आरोप लगाया है कि सीएम रहने के दौरान ठाकरे ने शिंदे को अतिरिक्त सुरक्षा नहीं देने के निर्देश दिए थे। शिंदे गुट के इस दावे का तत्कालीन गृहमंत्री ने जोरदार खंडन किया है।
उद्धव सरकार में गृहमंत्री और एनसीपी नेता दिलीप वालसे पाटिल ने कहा है कि ठाकरे ने उनसे कभी भी शिंदे की सुरक्षा हटाने के लिए नहीं कहा था। पाटिल ने पुणे में कहा- “तत्कालीन मुख्यमंत्री की ओर से कोई निर्देश नहीं था कि एकनाथ शिंदे को सुरक्षा प्रदान नहीं की जानी चाहिए। एकनाथ शिंदे को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की गई थी। उनके बेटे ने एकनाथ शिंदे को “जेड” प्लस सुरक्षा के लिए अनुरोध करते हुए एक पत्र दिया था। लेकिन शिंदे ने कभी अपने लिए सुरक्षा नहीं मांगी। उन्हें मिली धमकी के बाद शिंदे की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी।”
पाटिल ने आगे कहा- “सुरक्षा प्रदान करने का निर्णय एक विशेषज्ञ समिति द्वारा लिया जाता है। एकनाथ शिंदे के बेटे द्वारा पत्र दिए जाने के बाद, हमने उनकी सुरक्षा कड़ी कर दी। उनकी सुरक्षा मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री को दी गई सुरक्षा के बराबर थी।”
बता दें कि शुक्रवार को शिंदे गुट के विधायकों- सुहास कांडे और दादा भुसे और पूर्व गृह राज्य मंत्री शंबुराज देसाई ने आरोप लगाया कि एकनाथ शिंदे को नक्सलियों की धमकी के बावजूद आवश्यक सुरक्षा प्रदान नहीं की गई। विधायकों ने कहा कि हालांकि मुख्यमंत्री ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था। उन्होंने बस पुष्टि की है कि उन्हें नक्सली संगठनों से धमकियां मिली थीं क्योंकि उन्होंने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्य किए थे।
कांडे ने कहा था- ”एकनाथ शिंदे ने नक्सलियों के खिलाफ लड़ने वालों का अभिनंदन किया था। इसके बाद नक्सलियों ने उन्हें मारने की साजिश रची और जान से मारने की धमकी भी दी। उसके बेटे ने तब उनके लिए सुरक्षा बढ़ाने की मांग की थी। उद्धव ठाकरे ने एनसीपी की सलाह पर उन्हें सुरक्षा देने से इनकार कर दिया था।”
पूर्व गृह राज्य मंत्री सतेज पाटिल ने भी इन आरोपों से इनकार किया कि एकनाथ शिंदे की सुरक्षा नहीं बढ़ाई गई थी। उन्होंने कहा- “एकनाथ शिंदे को अतिरिक्त सुरक्षा से वंचित करने का कोई सवाल ही नहीं है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति सुरक्षा के मुद्दे को तय करती है। यह सुरक्षा खतरे के विश्लेषण के बाद किया जाता है। चूंकि शिंदे नक्सल प्रभावित गढ़चिरौली जिले के संरक्षक मंत्री थे, इसलिए उन्हें अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान की गई थी।”