Bhagat Singh Koshyari statement: महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा महाराष्ट्रवासियों को लेकर दिये बयान पर राजनीति तेज हो गई है। भगत सिंह कोश्यारी भी इस बयान के चलते अकेले पड़ते दिख रह रहे हैं। बता दें कि भाजपा नेता और महाराष्ट्र के मौजूदा डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि मैं राज्यपाल के बयान से सहमत नहीं हूं।
भगत सिंह कोश्यारी ने क्या कहा था:
दरअसल 29 जुलाई को मुंबई के अंधेरी में राजस्थानी समाज के एक कार्यक्रम में महाराष्ट्र के गवर्नर ने कहा था कि “अगर गुजरातियों और राजस्थानियों को महाराष्ट्र, खासकर मुंबई और ठाणे से हटा दिया जाता है, तो यहां कोई पैसा नहीं बचेगा। इस शहर को आर्थिक राजधानी नहीं कहा जाएगा।” इस बयान को मराठी लोगों के अपमान से जोड़कर देखा जा रहा है। वहीं इस बयान से राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस ने किनारा कर लिया है।
फडणवीस ने बयान से किया किनारा:
देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “मैं राज्यपाल के बयान से सहमत नहीं हूं। मराठी लोगों ने महाराष्ट्र के विकास की प्रक्रिया में योगदान दिया है। इस विकास यात्रा में और भी कई लोग शामिल हुए लेकिन इससे मराठी लोगों का महत्व कम नहीं हो सकता।” उन्होंने कहा कि लगभग हर क्षेत्र, कला, संस्कृति, उद्योग में राज्य की प्रगति का श्रेय मराठियों को दिया जा सकता है। दरअसल राज्यपाल के बयान से किनारा कर भाजपा ने संदेश देने की कोशिश की है कि वो मराठी लोगों का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकती।
बीजेपी विधायक आशीष शेलार ने कहा कि मराठी लोग मुंबई और महाराष्ट्र की शान हैं। शहर और राज्य के निर्माण में उनकी अपार भूमिका पर सवाल नहीं उठाया जा सकता। हम राज्यपाल की टिप्पणी का समर्थन नहीं करते।
बीजेपी क्यों ले रही ऐसा स्टैंड:
दरअसल महाराष्ट्र के हर चुनावी लड़ाई में, चाहे वो स्थानीय निकाय चुनाव हो या फिर विधानसभा, लोकसभा चुनाव, इसमें सभी राजनीतिक दलों ने अपने फायदे के लिए मुंबई या मराठी लोगों के मुद्दों का इस्तेमाल करने की कोशिश की है। तीन दशकों तक बीएमसी (बृहन्मुंबई नगर निगम) पर कब्जा जमाने वाली शिवसेना ने हमेशा इस तरह के मुद्दों को भावनात्मक तरीके से पेश करने कोशिश की है। माना जा रहा है कि मराठी लोगों को अपने साथ जोड़ने के चलते भाजपा ने शिंदे गुट से हाथ मिलाया।
ऐसे में कोश्यारी का ताजा बयान अन्य विपक्षी दलों के लाभकारी साबित हो, उससे पहले भाजपा ने राज्यपाल के बयान से किनारा कर लिया है। वो नहीं चाहती कि आगामी चुनावों के मद्देनजर मराठी लोगों में गलत संदेश जाए।
द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई की 1.5 करोड़ से अधिक आबादी में मराठी 26-30 प्रतिशत हैं। गुजराती समुदाय और उत्तर भारतीयों की शहर की आबादी क्रमश: 17 प्रतिशत और 18-20 प्रतिशत है।
एकनाथ शिंदे ने क्या कहा:
सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि राज्यपाल ने जो कहा वो उनके विचार निजी हैं। उनके इस बयान का हम समर्थन नहीं करते हैं। राज्यपाल का पद एक संवैधानिक होता है। कोई भी बात उन्हें संविधान के दायरे में रहकर बोलनी चाहिए। हम मुंबई के लिए मुंबईकर और मराठी लोगों के योगदान को कभी नहीं भूल सकते।
एनसीपी भी हमलावर:
कोश्यारी के बयान को लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी भी हमलावर हुई है। पार्टी की सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि अगली बार जब सीएम एकनाथ शिंदे या उप मुख्यमंत्री फडणवीस दिल्ली जाएं, तो राज्यपाल को वापस उनके मूल राज्य में भेजने का आग्रह करें।
उन्होंने कहा कि राज्यपाल की जिम्मेदारी है कि वो राज्य के सभी लोगों के साथ एक सा व्यवहार करें। लेकिन उनका ताजा बयान लोगों के बीच कड़वाहट और अलगाव पैदा करने वाला है। मैं राष्ट्रपति जी से अनुरोध करती हूं कि वो गवर्नर को वापस बुला लें।
सफाई में कही ये बात:
भगत सिंह ने बवाल मचने के बाद अपने बयान पर सफाई में कहा कि मेरे बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के निर्माण में मराठी लोगों की मेहनत का अधिक योगदान है। हर मामले को राजनीति के चश्में से नहीं देखना चाहिए। अगर एक समुदाय की सराहना होती है तो इसका मतलब दूसरे समुदाय का अपमान नहीं है।
कोश्यारी ने कहा कि राजनीतिक दलों को बिना कारण इस पर विवाद नहीं खड़ा करना चाहिए। कम से कम मेरे द्वारा मराठी लोगों का कभी अपमान नहीं किया जाएगा।