स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट मामले में विवादित फैसला देने वाली बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) की जज जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला (Justice Pushpa Ganediwala) ने इस्तीफा दे दिया है। वह हाईकोर्ट की अतिरिक्त न्यायाधीश थीं, जिनका कार्यकाल 12 फरवरी को समाप्त होने वाला था, लेकिन उसके एक दिन पहले ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया।

जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला को सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम द्वारा न तो स्थायी न्यायाधीश के लिए अनुशंसित किया गया था और न ही अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल बढ़ाया गया था। इस प्रकार, उनका कार्यकाल 12 फरवरी को समाप्त होने वाला था। सूत्रों के अनुसार, वह सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के समक्ष मध्यस्थता और मुकदमेबाजी कर सकती हैं।

POCSO एक्ट के तहत एक मामले में पिछले साल जनवरी में दिए गए जस्टिस गनेडीवाला के विवादास्पद स्किन टू स्किन जजमेंट की काफी आलोचना हुई थी। उसी महीने उन्होंने कई विवादित फैसले दिए थे। अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल पिछले साल फरवरी में समाप्त होने वाला था, लेकिन इसे एक साल के लिए बढ़ा दिया गया था। हालांकि, इस साल ऐसा कोई विस्तार नहीं दिया गया।

जस्टिस गनेडीवाला ने 12 साल की नाबालिग के साथ यौन अपराध मामले में आरोपी को बरी करते हुए कहा था कि स्किन-टू-स्किन कॉन्टैक्ट में आए बिना किसी को टच करना POCSO एक्ट के तहत यौन हमला नहीं माना जाएगा। इसके अलावा, जस्टिस गनेडीवाला ने 5 साल की बच्ची का हाथ पकड़ने और पैंट खोलने को भी यौन उत्पीड़न नहीं माना था।

पिछले साल, भारत के महान्यायवादी द्वारा दायर एक याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस गनेडीवाला के विवादास्पद फैसले को खारिज कर दिया था। नवंबर 2021 में दिए गए अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट की 3 जजों की बेंच ने कहा था कि यौन उत्पीड़न के अपराध के लिए जो मायने रखता है वह “यौन इरादा” है।

पुष्पा गनेडीवाला साल में 2007 में जिला न्यायाधीश बनीं और 13 फरवरी, 2019 को दो साल की अवधि के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुईं।