शिंदे गुट की बगावत के बाद उद्धव ठाकरे के सामने सबसे बड़ी इम्तिहान बीएमसी चुनाव को लेकर है। सुप्रीम कोर्ट ने आज स्टेट इलेक्शन कमीशन को दो सप्ताह में निकाय चुनाव कराने का नोटिफिकेशन जारी करने का आदेश दे दिया है। चुनाव सिर पर हैं और शिवसेना के 12 सांसदों के साथ 40 विधायक पलायन कर चुके हैं। महाराष्ट्र में जिस तरह उद्धव सरकार सत्ता से बाहर हुई उसके बाद शिवसेना के सामने अगली सबसे बड़ी चुनौती बीएमसी चुनाव में जीत दर्ज करने की है। ये उसका सबसे मजबूत किला है।
बीएमसी में जीत दर्ज करने के लिए उद्धव किस कदर हाथ पैर मार रहे हैं इसका अंदाजा तब लगा जब उन्होंने मंगलवार को कुछ उत्तर भारतीय लोगों से मुलाकात की। मातोश्री का कहना था कि बेशक हमारे विधायक और सांसद धोखा दे गए। लेकिन पब्लिक उन्हें फिर से पुराना प्यार देगी। वो बीएमसी में जीत हासिल करेंगे। हालांकि ये उतना आसान नहीं है। बीजेपी ने एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र का सीएम बीएमसी को ध्यान में रखकर बनाया है। शिवसेना की पकड़ बीएमसी पर मजबूत है। लेकिन फिलहाल उसे अपनों के धोखे से जूझना पड़ रहा है। कौन साथ है और कौन खिलाफ नहीं पता। बीजेपी उद्धव को खत्म करने पर आमादा है।
उधर कांग्रेस और राकांपा भी उसे आंखें दिखाने से बाज नहीं आ रहे। पूर्व केंद्रिय मंत्री और कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने शिवसेना के खिलाफ सीएम एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को एक पत्र लिखा है। मिलिंद ने लिखा है कि शिवसेना ने खुद के फायदे के लिए वार्ड निर्माण अवैध तौर से कराया है। देवड़ा पत्र पर उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ट्विटर पर जवाब देते हुए भरोसा दिया है कि वह इस संबंध में निर्णय लेंगे। फडणवीस के जवाब के बाद महाराष्ट्र की सियासत में अब यह चर्चा भी शुरू हो चुकी है कि क्या बीएमसी चुनाव में शिवसेना को हराने के लिए बीजेपी और कांग्रेस भी एक दूसरे से हाथ मिला सकते हैं?
बीएमसी देश की सबसे ज्यादा बजट वाली नगर पालिका है। इसका कुल बजट 46 हजार करोड़ रुपए का है। इस साल बीएमसी के बजट में 17 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है। शिवसेना यहां की राजनीति में सिरमौर रही है। 1985 में शिवसेना पहली बार बीएमसी में सत्ता में आई थी। इसके बाद शिवसेना ने 1996 तक नागरिक निकाय को अपना गढ़ बना लिया। 2017 में बीएमसी में शिवसेना ने 84 और बीजेपी ने 82 सीटों पर जीत दर्ज की थी। दोनों ने एक-दूसरे को कांटे की टक्कर दी थी। उद्धव कैंप भी समझ रहा है कि बीएमसी में गए तो मुंह छिपाना भारी हो जाएगा।
शिवसेना के एक नेता कहते हैं कि शिंदे की बाजीगरी का मुकाबला करने के लिए ठाकरे को जमीनी स्तर पर अधिक समय देना होगा। उद्धव ठाकरे को उन लोगों का विश्वास दोबारा हासिल करना होगा, जिन्होंने अब तक उनके पिता और उनके नेतृत्व में शिवसेना को वोट दिया था। उद्धव ठाकरे को मुंबई के शिवसैनिकों के दिल में उतरना होगा। उनका भी मानना है कि बीएमसी में हार का मतलब मातोश्री की चमक पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। लेकिन अगर जीते तो ठाकरे को रोकना भारी हो जाएगा। जीत उद्धव और आदित्य में ऐसी एनर्जी भरेगी जिसे रोकना मुश्किल होगा। शिंदे और बीजेपी चाहकर भी उन्हें नहीं रोक पाएंगे।