महाराष्ट्र में इसी साल बीएमसी का चुनाव होना है। शिवसेना नीत गठबंधन वाली सरकार के लिए इसमें जीत एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि कई सालों से बीएमसी में शिवसेना का दबदबा रहा है। वहीं कभी शिवसेना की दोस्त रही बीजेपी बदला लेने के लिए तैयार दिख रही है। देखने में तो ये दिग्गजों की लड़ाई है, जहां एक तरफ शरद पवार, उद्धव ठाकरे, कांग्रेस और बीजेपी की लड़ाई है, लेकिन इस चुनाव में दो ठाकरे के बीच भी जंग दिख रही है।

आदित्य ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना- उद्धव ठाकरे अब अपने बेटे आदित्य ठाकरे को शिवसेना का चेहरा बनाते दिख रहे हैं। आदित्य इस समय सरकार में मंत्री और युवा चेहरा भी हैं। फिलहाल चुनाव से पहले शिवसेना उनकी अयोध्या यात्रा को सफल बनाने में जुटी है। उनकी अयोध्या यात्रा को बीएमसी चुनाव से जोड़ कर देखा जा रहा है।

हालांकि शिवसेना ने आदित्य की अयोध्या यात्रा को राजनीति से जोड़कर देखने के लिए नहीं कहा है। शिवसेना का दावा है उनके नेता भगवान राम की नगरी में जाते रहे हैं और यह एक धार्मिक यात्रा है। हालांकि पार्टी इस यात्रा को लेकर काफी उत्साहित और तैयारियों में जुटी हुई है। शिवसेना सांसद संजय राउत और शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे ने हाल ही में इन तैयारियों का जायजा लेने के लिए अयोध्या का दौरा किया था। इन तैयारियों के लिए शिवसेना की मुंबई इकाई के अलावा पार्टी की नासिक इकाई को भी लगाया गया है।

राउत ने कहा- “आदित्य की अयोध्या यात्रा अराजनीतिक है। यह विशुद्ध रूप से एक धार्मिक यात्रा है। कोई राजनीति या एजेंडा नहीं है। आदित्य राम लला के मंदिर में पूजा करेंगे, सरयू नदी के तट पर आरती करेंगे। बाद में वह स्थानीय मीडिया से बातचीत करेंगे”।

दूसरे ठाकरे भी नए रंग में तैयार- कभी शिवसेना में रहे मनसे प्रमुख राज ठाकरे भी हिन्दुत्व के नए चेहरे के तौर पर अपने आप को सामने रख रहे हैं। एक समय में बाला साहेब का उत्तराधिकारी माने जाने वाले राज ठाकरे ने अपनी राजनीतिक पहचान उत्तर भारतीय के खिलाफ आंदोलन करके बनाई थी। लेकिन अब वो शिवसेना पर हिन्दुत्व से भटकने का आरोप लगा रहे हैं तो वहीं खुद को हिन्दुत्व का हितैषी भी दिखा रहे हैं।

यही कारण रहा कि जैसे ही आदित्य ने अयोध्या जाने की घोषणा की, तुरंत उनके चाचा राज ठाकरे भी अयोध्या जाने का ऐलान कर दिए। इससे पहले राज ठाकरे मस्जिदों में लाउडस्पीकर हटाने को लेकर उग्र बयान देते रहे। लाउडस्पीकर विवाद के बीच जैसे ही मनसे प्रमुख ने अयोध्या जाने की घोषणा कि शिवसेना सतर्क हो गई। मनसे के उग्र रूप को देखते हुए उन्हें बीजेपी से भी समर्थन मिलता दिखा, क्योंकि शिवसेना के काट के लिए बीजेपी को स्थानील लेवल पर कोई ऐसी पार्टी चाहिए जो उद्धव की पार्टी से तेवर में ज्यादा उग्र हो।

इसके बाद शिवसेना भी जवाब देने के लिए मैदान में उतर गई। शिवसेना के असली और मनसे के नकली हिंदुत्व के बीच के अंतर बताने के लिए पार्टी ने जगह-जगह पोस्टर लगा दिए। राउत ने तब कहा था- “उत्तर प्रदेश के लोग बुद्धिमान हैं। वे जानते हैं कि कौन आस्था के साथ अयोध्या आता है और कौन राजनीतिक एजेंडा लेकर आता है”। एमएनएस ने पलटवार करते हुए इस तरह के आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया था- “राज ठाकरे कभी भी राजनीति के लिए धर्म का इस्तेमाल नहीं करते हैं।”

हालांकि इन विवादों के बीच राज ठाकरे ने अपनी अयोध्या यात्रा दो कारणों के कारण स्थगित कर दी। राज ठाकरे ने कहा कि उनके खिलाफ साजिश हो सकती है और उनके कार्यकर्ताओं के खिलाफ पुलिस कार्रवाई कर सकती है। इसके साथ ही ठाकरे ने कहा कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है, इसलिए भी वो अयोध्या दौरा कैंसल कर रहे हैं। दरअसल यूपी से बीजेपी के एक सांसद लगातार राज ठाकरे को चैलेंज कर रहे थे। बीजेपी सांसद बृज भूषण शरण सिंह ने बिना माफी के राज ठाकरे को अयोध्या न आने की चेतावनी दी थी।

कहा जा रहा है कि शिवसेना नेतृत्व ने स्पष्ट रूप से पार्टी की हिंदुत्व की साख को और मजबूत करने और राज ठाकरे के हिंदुत्व का मुकाबला करने के लिए आदित्य के अयोध्या दौरे की योजना बनाई है। बीएमसी चुनावों से पहले यह उत्तर भारतीयों तक भी पहुंचने की कोशिश मानी जा रही है। मुंबई में लगभग 20 प्रतिशत मतदाता उत्तर भारतीय हैं। जिसपर बीजेपी और शिवसेना दोनों की नजर है।