महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आगामी स्थानीय निकाय चुनावों (Local Body Polls) में अपनी पार्टी शिवसेना की जीत को लेकर पूरा भरोसा जताया है। उन्होंने दावा किया कि पार्टी की विकास नीति और जनसमर्थन के दम पर शिवसेना मैदान में मजबूत दावेदार बनकर उभरेगी। शिंदे ने जोर देकर कहा कि लोगों को अब यह समझ आ गया है कि शिवसेना सिर्फ नारेबाज़ी नहीं, बल्कि वादों को निभाने वाली पार्टी है।
उन्होंने बताया कि नासिक और महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों से लेकर राजस्थान तक के कई जनप्रतिनिधि उनके गुट में शामिल हुए हैं। शिंदे ने कहा, “सरपंच, नगरसेवक, और यहां तक कि पड़ोसी राज्यों से भी लोग जुड़ रहे हैं। इससे हमारी ताकत और बढ़ेगी।”
पार्टी गुरुवार को मनाएगी अपनी सालगिरह
शिंदे ने यह भी ऐलान किया कि 19 जून को शिवसेना की वर्षगांठ को जोरदार तरीके से मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि “ऑपरेशन टाइगर हर दिन चल रहा है और इसका असर साफ तौर पर चुनाव नतीजों में दिखेगा।”
एकनाथ शिंदे की चुनावी तैयारियां न सिर्फ संगठन के स्तर पर, बल्कि रणनीतिक और भावनात्मक मोर्चों पर भी चल रही हैं। ऑपरेशन टाइगर और ऑपरेशन सिंदूर के ज़रिए वे विकास और राष्ट्रवाद दोनों को चुनावी हथियार बना रहे हैं। नगर निकाय चुनाव, जिन पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद अब गति आई है, महाराष्ट्र की सियासत में नए समीकरण तय करेंगे।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट किया है कि स्थानीय निकाय चुनाव महायुति गठबंधन के तहत लड़े जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष और चुनाव समिति गठबंधन की रूपरेखा तय करेंगे और पार्टी उसी अनुसार मैदान में उतरेगी। हालांकि, उन्होंने संकेत दिया कि कुछ स्थानों पर “दोस्ताना मुकाबला” भी संभव है।
10 जून को महाराष्ट्र सरकार ने 29 नगर निगमों के लिए वार्ड सीमाओं के मसौदे तैयार करने के आदेश जारी किए। यह कदम सुप्रीम कोर्ट के 6 मई के आदेश के बाद उठाया गया, जिसमें चुनाव आयोग को चार सप्ताह के भीतर स्थानीय निकाय चुनावों की अधिसूचना जारी करने को कहा गया था। ओबीसी आरक्षण के कारण ये चुनाव सालों से रुके हुए थे।
अपने भाषण में शिंदे ने पहलगाम आतंकी हमले की चर्चा करते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “हमारी बहनों के सिंदूर पर हमला हुआ था, जिसका करारा जवाब पीएम मोदी की सरकार ने दिया। कांग्रेस ने जब-जब सत्ता में थी, वोट बैंक की राजनीति की, लेकिन अब देश के आत्मसम्मान से समझौता नहीं होगा।” उन्होंने यह भी बताया कि भारत की तरफ से सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल 34 देशों में भेजे गए हैं ताकि ऑपरेशन सिंदूर पर वैश्विक समर्थन जुटाया जा सके।