Eknath Shinde News: महाराष्ट्र की राजनीति में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है, सियासी गलियारों में हलचल है कि डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे नाराज चल रहे हैं। नाराजगी भी ऐसी है कि वे कई उन बैठकों से नदारद हैं जिनकी अगुवाई खुद राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने की है। इसके ऊपर शिंदे की सरकार के दौरान जो फैसले हुए थे, उनकी जांच पड़ताल भी शुरू कर दी गई है। ऐसे में असहजता दोनों तरफ से है, थोड़ी नाराजगी भी दिखाई दे रही है, क्या माना जाए कि महाराष्ट्र की राजनीति में कुछ बड़ा होने वाला है?
फडणवीस और शिंदे में तकरार का क्या कारण?
सबसे पहले समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर सीएम देवेंद्र फडणवीस ने ऐसे कौन से फैसले लिए हैं जिस वजह से डिप्टी सीएम शिंदे कुछ खफा बताए जा रहे हैं। हाल के ही एक फैसले की बात करें तो एमएसपी को लेकर शिंदे सरकार की एक योजना की अब जांच होगी, उसमें अनियमितताएं पाई गई हैं।
17 फरवरी को फडणवीस सरकार का एक आदेश सामने आया है जिसके मुताबिक कई एमएसपी वाली योजनाओं में अनियमितताएं हैं, 6 सदस्यों की एक कमेटी का गठन भी हुआ है। कहा जा रहा है कि नोडल एजेंसी कई फॉर्म प्रड्यूजर कंपनियों से पैसे मांग रही है। असल में पिछली सरकार ने प्रधान मंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान शुरू किया था, यह योजना केंद्र की थी, लेकिन इसे महाराष्ट्र में लागू करने का काम शिंदे सरकार ने किया। अब किस तरह से वो योजना लागू हुई, इसकी जांच की जाएगी।
शिंदे के पुराने फैसले, फडणवीस कर रहे खारिज?
इससे पहले जलना में 900 करोड़ के एक हाउसिंग प्रोजेक्ट के जांच के आदेश दे दिए गए हैं। उस प्रोजेक्ट को भी शिंदे सरकार ने ही हरी झंडी दिखाई थी। इसी तरह बीएमसी के 1400 करोड़ के अहम टेंडर को भी रद्द कर दिया गया था, वो भी पिछली सरकार के दौरान ही पारित हुआ। यानी कि जो बड़े फैसले शिंदे ने लिए, उन पर भी फडणवीस सरकार कैची चला रही है। इसी वजह से नाराज होकर डिप्टी सीएम शिंदे को भी कहना पड़ा कि उन्हें हल्के में लेने की जरूरत नहीं है, वो कोई सामान्य नेता नहीं हैं।
अब शिंदे का यह बयान ही बताने के लिए काफी है कि वे नाराज हैं, असहज हैं और कोई बड़ा कदम उठाने का दमखम भी रखते हैं। दूसरी तरफ बीजेपी जानती है कि अब उसे शिंदे के सामने झुकने की कोई जरूरत नहीं है, बिना शिंदे भी बहुमत रहने वाला है, बिना शिंदे भी सरकार आराम से चल सकती है। ऐसे में शिंदे की कोई भी सियासी धमकी अब बीजेपी को ज्यादा परेशान नहीं करने वाली है।
पवार और मोदी के बीच क्या चल रहा?
इसी बीच प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ दिन पहले दिल्ली में 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का उद्घाटन किया था। उस कार्यक्रम में शरद पवार ने भी शिरकत की थी। एक वीडियो जो वायरल हुआ उसमें पीएम मोदी ने शरद पवार के लिए पानी का ग्लास भरा, उनकी तरफ से सहारा दिया गया। उस भावनात्मक रिश्ते के ही कई मायने निकाले गए। उस केमिस्ट्री की चर्चा हर तरफ रही। पवार को लेकर यह भी कहा गया कि उन्होंने तो कुछ दिन पहले एकनाथ शिंदे की भी तारीफ की थी। इसी वजह से माना गया कि कोई बड़ा खेल भी हो सकता है।
अभी के लिए महाराष्ट्र की जैसी राजनीति चल रही है, एनसीपी में दो फाड़ है, अजित पवार एनडीए के साथ हैं और पवार अभी भी महा विकास अघाड़ी के साथ खड़े हैं। लेकिन बार-बार उनका सत्ता पक्ष की तारीफ करना, उनका पीएम मोदी के साथ यूं मिलना इंडिया गठबंधन को भी नाराज कर गया है। क्या ऐसा संभव है कि शरद पवार भी बीजेपी से हाथ मिलाएं और साथ आ जाएं? राजनीति में किसी भी समीकरण से इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन उनके लिए अजित से दिल मिलना मुश्किल है, इसी वजह से यह संभावना भी अभी के लिए कम दिखाई देती है।
महाराष्ट्र का नंबर गेम शिंदे के खिलाफ
महाराष्ट्र के विधानसभा नंबरों की बात करें तो बीजेपी के पास अपने दम पर 132 सीटें हैं, अजित गुट के पास 41 सीटें हैं, शिंदे गुट के पास 56 सीटें हैं। उनका कुल आंकड़ा 230 सीटें बैठता है। अब अगर शिंदे की 56 सीटें हटा दी जाएं, तब भी महायुति के पास 173 सीटें हैं जो बहुमत के आंकड़े से काफी ज्यादा है। ऐसे में आने वाले दिनों में भी चुनौतियां ज्यादा एकनाथ शिंदे के लिए ही रहने वाली हैं और बीजेपी उतनी ही आक्रमक दिखाई दे सकती है। महाराष्ट्र की और खबरों के लिए यहां क्लिक करें